सवाल-कुमारी निरुपमा

Kumari Nirupama

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सवाल
वंदना आज जब विद्यालय से लौटी तो काफी परेशान थी।उसका चेहरा तमतमाया हुआ था। मां ने वंदना से चाय पीते समय पूछा कि आज तुम बहुत परेशान क्यो हो?
वंदना – नहीं , मां कुछ भी नहीं
मां – पर, कुछ तो जरूर हुआ है।
वंदना – हां मां , आज वर्ग सात के कुछ बच्चे मुझ पर ऊंगली उठा दिए। उनके द्वारा किए गए सवाल से मैं परेशान हूं।
मां – ऐसी क्या बात हुई जो मेरी बेटी नहीं हल कर सकती है।
वंदना – मैंने अपने विद्यालय में महिला शिक्षिकाओं से कह रखा है कि वर्ग षष्ठ से वर्ग अष्टम तक की छात्राओं को अगर पीरियडस संबंधित कोई समस्या होती है तब विद्यालय स्तर से हल करें या जरूरत पड़ने पर घर जाने की भी छुट्टी दे सकती हैं। अतः छात्राओं को वैसी स्थिति में छुट्टी दिया जाता है।
आज वर्ग सात का निखिल एवं अमन मुझसे छुट्टी मांगने आए तो मैंने देने से इंकार कर दिया।इस पर वह आक्रामक ढंग से बोलना शुरू कर दिया।वह मुझ पर सीधा आरोप लगाया कि आप लैंगिक भेदभाव को मिटाने की बात करती हैं परन्तु स्वंय लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। मुझे काफी आश्चर्य हुआ उसकी बात सुनकर। मैंने प्यार से पूछा कि तुम्हें कैसे लगता है कि मैं लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देती हूं।
इस पर निखिल दृढ़ता पूर्वक बोला कि आप छात्राओं को मैम से विशेष छुट्टी लेने की अनुमति देती हैं तो छात्रों को भी सर से छुट्टी लेने का नियम क्यो नहीं?
वंदना- मां, मैं तो उस समय निरुत्तर हो गई परंतु उसे बताना तो होगा कि किस विशेष स्थिति में बालिकाओं को यह छुट्टी दी जाती है। परन्तु यह इतने छोटे हैं कि समझाएं कैसे।
मां – उन्हें इसके बारे में बता दो। तुम प्रधानाध्यापिका हो तो इस तरह का नियम बना सकती हो।
वंदना – हां मां, पर मैं उन्हें अहसास भी दिलाना चाहती हूं। उपयुक्त समय आने पर।
कुछ दिन बाद वंदना के पास वर्ग अष्टम की एक छात्रा संध्या अपनी सहेली के साथ मुझसे छुट्टी लेने आई। उसके कपड़े गन्दे हो गये थे। वंदना ने संध्या से कहा कि आज तुम्हारे सहयोग से मुझे छात्रों को अहसास दिलाना है। तुम बस थोड़ी देर के लिए वर्ग में मेरे साथ चलो।संध्या पहले काफी हिचकिचाई परंतु जब अन्य शिक्षिका के कहने पर राजी हो गई।
वर्ग सप्तम एवं अष्टम के बच्चो को एक साथ बैठा कर संध्या को साथ लेकर वंदना वर्ग में गयी।जब सभी बच्चे शांत हो गये तब वंदना ने बताना शुरू किया कि आज तुमलोग को पता चल जाएगा कि छात्राओं को क्यो विशेष छुट्टी दी जाती है। इसके बाद संध्या को एक बार घुमने के लिए कहा गया।
सभी बच्चे अवाक! बाप रे खून!
संध्या के चले जाने के बाद वंदना ने मासिक धर्म के बारे में विस्तार से छात्रों को बताया। कैसे हमारे समाज में इन दिनों लड़कियों के साथ अछूत के तरह व्यवहार किया जाता है जबकि यह ईश्वर का वह देन है जिसके कारण औरतें मां बनती हैं। लड़कियां इन दिनों शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा से भी गुजरती हैं।

अब तुम्ही लोग निर्णय करो कि क्या तुमलोग के साथ लैंगिक भेदभाव किया जाता है?
निखिल और अमन बोलने लगे – नहीं, मैडम हमलोग के द्वारा लैंगिक भेदभाव पर उठाया गया सवाल गलत है।आप हमें माफ कर दें।
वंदना – गलती हमलोग की है। हमें बच्चों को खुलकर सेक्सुअल एजुकेशन देना चाहिए।

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