Best sakhi-Dr Aarti Kumari

CamScanner-10-26-2020-22.jpg

  कहानी

 बेस्ट सखी

 

सुरभि अपने विद्यालय की सबसे अनुशासित एवं प्रतिभावान छात्रा थी। वह वर्ग छः में पढ़ती थी। विद्यालय का वार्षिकोत्सव अगले महीने होने वाला था और सुरभि उसमें बढ़ चढ़ कर भाग ले रही थी। एक दिन प्रैक्टिस के दौरान ही उसके पेट मे दर्द शुरू हो गया और वह रोने लगी। आसपास की सहेलियां उसे ‘रोनू रोनू’ कहकर चिढ़ाने लगीं।उसने सोचा कि अच्छा हो वह छुट्टी मांगकर घर चली जाए। जैसे ही वह उठी उसकी स्कर्ट पर लाल लाल धब्बे दिखे। उन धब्बों को देखकर वह बिल्कुल डर गई और घबराते हुए वह छुट्टी मांगने अपनी वर्ग शिक्षिका प्राची के पास चली गई। प्राची बहुत ही मिलनसार और बच्चों की प्रिय शिक्षिका थी। हाल ही में उसने किशोरावस्था का प्रशिक्षण भी लिया हुआ था। वह सुरभि की रोनी सूरत देखते ही समझ गयी कि माजरा क्या है। प्राची ने उसके आँसू पोंछे और अलमारी से एक पैड निकालते हुए उसे उसके इस्तेमाल करने का तरीका बताया और यह बताया कि यह एक नेचुरल प्रक्रिया है जो हर लड़की के साथ किशोरावस्था में होता है। घर पहुंचते ही वह माँ से लिपटकर रोने लगी। उसने घबराते हुए माँ को सारी बात बताई। माँ ने उसके सिर पर हाथ फेरा, मालिश की और प्यार से उसे गर्म दूध पीने को दिया। अगले सप्ताह जब सुरभि विद्यालय गयी तो प्राची ने उसे फिर परेशान देखा। उससे पूछने पर पता चला कि दादी ने उसे चार दिनों तक नहाने ही नही दिया इसलिए उसे खुजली सी हो रही है। प्राची ने उसकी कॉउंसलिंग की और उसे साफ सफाई और पौष्टिक भोजन लेने आदि के महत्व के बारे में बताया। और यह भी बताया कि इस समय में भी वह हर कार्य को कर सकती है। पढ़ सकती है, खेल सकती है और छोटे मोटे काम भी कर सकती है। यह सुनकर सुरभि को थोड़ा हौसला आया। उसे भय था कि कहीं उसके दर्द और प्रैक्टिस में उसकी अनुपस्थिति की वजह से उसे वार्षिकोत्सव कार्यक्रम से बाहर ही न कर दिया जाए। अभी वार्षिकोत्सव में एक महीना बाकी था लेकिन उसकी तिथि और उसके ‘उन दिनों’ की तिथि आस पास टकरा रही थी। फिर भी उसने कड़ी मेहनत से सबकुछ जल्दी ही सीख लिया। आखिकार वार्षिकोत्सव का दिन आ ही गया। सुरभि उस दिन थोड़ी डल दिख रही थी।उसकी सखियां भी उसे रोनू रोनू चिढ़ा रही थीं। प्राची ने सुरभि के पास आकर उसे हिम्मत दी और कहा कि देखना, आज तुम्हारी प्रस्तुति सबसे अच्छी होगी और सब ख़ूब तालियाँ बजायेंगे। सुरभि ने वाकई पूरे आत्मविश्वास के साथ अच्छी प्रस्तुति दी और उसे ख़ूब शाबाशी भी मिली। स्टेज से उतरते ही उसे चिढ़ाने वाली लड़कियों ने घेर लिया और पूछने लगी कि क्या इस महीने तुम्हारी माहवारी नहीं आयी। सुरभि ने मुस्कुराते हुए कहा कि वो तो हर महीने आती है इसलिए मैंने उसे अपनी ‘बेस्ट सखी’ बना लिया है और उसके साथ रो कर नहीं हँस कर जीना सीख लिया है। 

 

डॉ आरती कुमारी (शिक्षिका)

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्रह्मपुरा

मुज़फ़्फ़रपुर

 

Spread the love

Leave a Reply