संध्या पाठशाला – धीरज कुमार

बात आज से लगभग तीन वर्ष पहले की है। ठंडी की शुरुआत हो चुकी थी।शादी विवाह में बजने वाला शोर समाप्त हो चुका था। दिसम्बर महीने का अंतिम सप्ताह चल रहा था। बिहार के छोटे-से शहर भभुआ में रहने वाले धीरज मास्टर साहेब हमेशा की तरह आज भी स्कूल जा रहे थे तभी रास्ते में जा रहे गरीब परिवार के छोटे-छोटे बच्चों पर उनकी नजर चली जाती। लगभग यही दृश्य विद्यालय से आते समय भी देखने को मिलता। तीन से पाँच की संख्या में बच्चें ठंड में भी बहुत ही कम कपड़े में घूमते मिल जाते। उनमें से एक छोटा बच्चा तो लोगों से भीख भी माँगता रहा।धीरज मास्टर साहेब से रहा नहीं गया, आज वो समय से पहले ही घर से निकल आए थे और कोई हड़बड़ी नहीं थी तो रुक कर और उस छोटे बच्चों के पास जैसे ही गए वो बच्चा उनसे भी एक हाथ फैलाते हुए और एक हाथ से पेट सहला कर मुँह से खाने के लिए कुछ पैसे दे दो भैया कहने लगा।धीरज मास्टर साहेब कहने लगे, “देखो हम मास्टर है। सबको पढ़ाते है और तुम्हारी उम्र पढ़ने की है, न कि भीख माँगने की। चलो मेरे साथ कुछ खाना है तो खा लो, पर हम भीख दे कर तुम्हारी और तुम्हारे जैसे बच्चों की आदत नहीं बिगड़ सकते।चलो मेरे साथ अपने घर, मैं तुम्हारे माता-पिता से बात करता हूँ और तुम्हारा नाम बगल के स्कूल में लिखवा देता हूँ। इतना सुनते ही बाकी बच्चे दौड़ कर भाग गए पर वो बच्चा भाग न सका। पहले तो बहुत आना कानी करते रहा पर मेरे दबाव देने पर वो साथ चला। उसके बताए रास्ते पर थोड़ी दूर चलने पर एक टूटी-फूटी झोपडी दिखी। अंदर जाने पर एक महिला दिखी जो बीमार लग रही थी।मास्टर साहेब द्वारा अपना परिचय देने पर वो बोली कि इसका बाप कोई काम नहीं करता है। मैं दूसरे के घर काम करती हूँ। बीमार होने के कारण मैं कुछ दिनों से घर से बाहर नहीं जा रही। दूसरे बच्चों के साथ ये बिगड़ने लगा है, कह रोने लगी। मास्टर साहेब बोले-बहन आप परेशान न हो। मैं इसके साथ कुछ दिन इसे प्रतिदिन संध्या पाठशाला में पढ़ाऊँगा। ये पता करते रहूँगा कि ये स्कूल जा रहा है या नहीं। वो बच्चा अब प्रतिदिन संध्या पाठशाला में आता और पढ़ाई करता। वहाँ उसके पठन-पाठन की सामग्री भी मिलती और संध्या पाठशाला में बच्चे पढ़ते भी। इस प्रकार कुछ वर्षों के बाद नवोदय की परीक्षा में उस बच्चे का चयन हो गया। इस प्रकार एक शिक्षक के द्वारा एक बच्चे का भविष्य सँवर गया। ऐसे ही शिक्षक को राष्ट्र निर्माता नहीं कहते।

धीरज कुमार

उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिलौटा,

भभुआ जिला कैमूर बिहार

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