कक्षा से बच्चों के शोरगुल की आवाजें आ रही थी, प्रधानाध्यापक ने झांककर देखा तो कुछ बच्चे आपस में उलझ रहे थे।
उन्होंने बच्चों को डाँटते हुए कहा कि दस मिनट शोर न करें, सभी शिक्षक किसी जरूरी विषय पर दस मिनट के लिए बैठक कर रहें।
दस मिनट में वह आएंगे। और फिर वह चल पड़े। प्रधानाध्यापक के दो कदम आगे बढाते ही जो बच्चे बिल्कुल शांत थे वह फिर से आपस में बात करने लगें।
प्रधानाध्यापक फिर पीछे मुड़कर कक्षा के एक विकलांग छात्र रोहन को कहा कि वह शोर करने वाले बच्चे का नाम लिखकर रखे। और फिर वह कार्यालय में चलें गए।
शिक्षक बैठक के बाद जब कक्षा में पहुँचे तो रोहन रो रहा था। शिक्षक के पूछने पर उसने बताया कि बच्चे उसका मजाक बना रहे थे कि स्वयं तो चल फिर नही पाता और हमलोगों का नाम लिखेगा।
शिक्षक ने उन सभी बच्चों को खड़ा करके बहुत डाँटा और समझाया ईश्वर ने सबको विशेष प्रतिभा दी है और किसी की कमियों का मजाक नही बनाना चाहिए।
विद्यालय में सबको समान अवसर दिए जाते हैं। किसी में कोई फर्क नही किया जाता ताकि सबका समान रूप से विकास हो सके।
इसलिए विकलांग छात्र भी अगर तुम्हारा नेतृत्वकर्ता है तो उसका सम्मान जरूर करना चाहिए।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ गुठनी सिवान बिहा