अजीत और विक्रम दोनों एक ही मुहल्ले में रहते थे। अभी दोनों सरकारी विद्यालय में आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, परंतु दोनों के स्वभाव में आकाश पाताल का अंतर… बदलाव -अमरनाथ त्रिवेदीRead more
Author: Anupama Priyadarshini
वायरल होने की ललक – रूचिका
दीपिका बहुत ही सुंदर थी, मृदुभाषी, पढ़ने-लिखने में अव्वल, कॉलेज में भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, संगीत प्रतियोगिता इस तरह की सारी प्रतियोगिताओं में वह प्रथम स्थान प्राप्त करती… वायरल होने की ललक – रूचिकाRead more
अमावस की रात – स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
लघु कथा अमावस की अँधेरी रात! मैं अकेली पगडंडियों से होती हुई गाँव की ओर जा रही थी। हाथ में एक बैग और दूसरे हाथ में टॉर्च। लगभग 2 कि.… अमावस की रात – स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”Read more
मैं ही देश हूँ – संजीव प्रियदर्शी
लघुकथा शहर कई दिनों से अशांत है। लोगों में नफ़रत और भय का माहौल है।कल तक जो लोग आपस में गले मिला करते थे, आज एक दूसरे की गर्दन काटने… मैं ही देश हूँ – संजीव प्रियदर्शीRead more
कहानी – संस्कृति चौधरी
कहानीदरभंगा जिले में एक देवेश नाम का बालक रहता था। वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। और दादी भी देवेश पर खूब स्नेह लुटाती थी। दादी देवेश को… कहानी – संस्कृति चौधरीRead more
स्वभाव – मुकेश कुमार मृदुल
लघुकथाअपने घर के बैठकखाने में टयूशन पढ रहे सात वर्ष का लडका पढने के क्रम में रुककर बोला – “अब छुट्टी कर दीजिए सर।”‘क्यों ?’ शिक्षक ने पूछा।सर अभी मेरी… स्वभाव – मुकेश कुमार मृदुलRead more
समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमार
#पांच साल बेमिसाल बिहार के शिक्षा विभाग में शिक्षकों ने स्वप्रेरणा से एक ऐसी गतिविधि से जुड़ते गए जहां से शिक्षकों के खुद की जो बहुमुखी विकास के साथ-साथ शिक्षार्थी,… समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमारRead more
पुरस्कार के हकदार – संजीव प्रियदर्शी
लघुकथा ”गांव में जो सबसे बढ़कर धर्मनिष्ठ होगा, आज की सभा में वे ही पुरस्कार के हकदार होंगे।” ग्राम-समिति की उद्घोषणा सुनते ही रात-दिन ईश्वर नाम की माला जपने वालों… पुरस्कार के हकदार – संजीव प्रियदर्शीRead more
“समाज को बदल डालो – विमल कुमार ‘विनोद’
— एक रंगमंचीय नाटक ओपनिंग दृश्य- सुबह का समय मंदिर का दृश्य,बहुत सारे लोग मंदिर में हैं,घंटी बजती है,आरती शुरू होती है।सभी लोग आरती करते हैं)पंडित जी-(सभी भक्तों से बोलिये)सर्वमंगलमांगलये… “समाज को बदल डालो – विमल कुमार ‘विनोद’Read more
बोध – संजीव प्रियदर्शी
एक लघुकथा लकड़ा जेब से पिस्तौल निकालकर ज्यों ही गोलियाँ चलाता कि यकायक उसके हाथ रुक गये। यह क्या? ये तो विभाष सर हैं! भला इन्हें कैसे मार सकता है… बोध – संजीव प्रियदर्शीRead more