बेटी के जबाव से मिली सीख-नूतन कुमारी

Nutan

बेटी के जबाव से मिली सीख 

          पिता पुत्री के संबंधों पर एक क्वीज प्रतियोगिता चल रही थी। बहुत सारे पिता और पुत्रियाँ बैठी हुई थी। उनमें से एक पुत्री को बुलाया गया और उनसे पूछा गया कि क्या आपके पिता आपको खुश रखते हैं? पिता इस प्रश्न से पूरी तरह निश्चिंत थें। उन्हें पूरा विश्वास था कि मेरी बेटी का जवाब “हाँ” में ही होगा क्योंकि उनके द्वारा उनकी बेटी को बहुत लाड़-प्यार से पाला गया था। लेकिन उनकी बेटी का जवाब था- नहीं मेरे पिता मुझे बिल्कुल भी खुश नहीं रखते। मैं उनसे खुश नहीं हूँ। पिता अवाक् रह गये कि यह कैसे हो सकता है। मेरी बेटी ने तो आज तक मुझसे कोई शिकायत नहीं की।

पुत्री ने कहा- मेरे पिता हमेशा व्यस्त रहते हैं।उनके पास मेरे लिए कभी समय नहीं होता इसके बावजूद भी मैं खुश हूँ। मैं अपनी वजह से खुश हूँ। मैं अपनी खुशी की अपेक्षा किसी और से क्यों करूँ? मैं हर हालात में खुश हूँ क्योंकि मुझे खुश रहने की आदत है। मेरे खुश रहने से मेरे आस-पास के लोग भी खुश रहते हैं। हमें अपनी खुशी की गेयर किसी और के हाथ में नहीं सौंपनी चाहिए।

मेरे पास पैसा नहीं है फिर भी मैं खुश हूँ। मेरे पास रहने को आलीशान घर नहीं है फिर भी मैं खुश हूँ। मुझे असफलता हाथ लगती है फिर भी मैं खुश रहकर उसका सामना करती हूँ। मेरे पास अधिक कपड़ें नहीं है फिर भी मैं खुश हूँ।मेरे पिता के पास मेरे लिए समय रहे न रहे फिर भी मैं खुश हूँ। कुल मिलाकर हम चाहे जिस भी परिस्थिति में रहे हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए। खुश रहने के लिए कोई वजह की जरूरत नहीं होती। हमें अपने आपको महत्वपूर्ण समझते हुए हमेशा खुश रहना चाहिए। चाहे पिता स्टेरिंग पर बैठा हो, चाहे गाड़ी फूल स्पीड मे हो, चाहे रास्ते ऊबड़-खाबड़ ही क्यों न हो! हमें गेयर को हमेशा प्रसन्नता के मोड मे ही रखना चाहिए।

यह सब सुनकर पिता की आँखों में आँसू भर आए। आज उन्हें अपनी बेटी से बहुमूल्य बातें सीखने को मिली। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो हमें हर हाल मे खुश रहना चाहिए। साथ ही पिता को अपनी गलती का एहसास भी हुआ कि मैंने कहीं न कहीं अपनी बेटी को पिता का प्रेम नहीं दे पाया और जो समय हमें अपनी बच्ची को देना चाहिए था उस समय मैंने अपने काम और मोबाइल में खुद को व्यस्त रखा। परिवार और बच्चों के साथ बिताया हुआ हरेक पल यादगार हो जाता है। अगर हम किसी बिमारी से जूझ रहे हो तो यकीन मानिए यदि अपनों का साथ मिलता रहे तो हमारे आधे मर्ज स्वतः ही खत्म हो जाते हैं। इसलिए हमें अपने परिजनों को बहुत सारा प्रेम व समय जरूर देना चाहिए। यह सब सोच पिता की आँखें डब-डबा गई। उन्होंने पुत्री को कलेजे से लगा लिया।

सीख :- पुत्री के जवाब से हमें यही सीख मिलती है कि हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ विपरीत ही क्यों न हो।
दूसरी सीख कि हमें अपने व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा समय परिवार और बच्चों को भी देना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी और बच्चों की उम्मीद है।

नूतन कुमारी (शिक्षिका)
पूर्णियाँ बिहार

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5 thoughts on “बेटी के जबाव से मिली सीख-नूतन कुमारी

  1. बहुत ही सुंदर कहानी है नूतन जी ।👌
    हम लोगों को हर हाल में खुश रहना चाहिए ।

  2. आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद व आभार🙏🙏🙏🙏🙏

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