किसी भी आयोजन में, चाहे शादी हो, विवाह हो, मुंडन हो या मृत्यु भोज हो, किसी भी तरह का आयोजन हो-सभी आयोजनों में भोजन बनाने में काफी पैसे खर्च होते हैं। जब एक बेटी की शादी होती है तो उस एक रात में बेटी के पिता का तमाम उम्र का पूंजी लग जाती है। लड़की का पिता लोन लेकर, कर्ज लेकर अपनी बेटी की शादी करते हैं। इस एक रात में उसकी जमीन बिक जाती है, शादी की रात लोग जाते हैं, बड़ी मस्ती से खाते हैं , पीते हैं और थाली में छोड़कर बहुत हीं खाना का बर्बादी करते हैं। इससे ना सिर्फ अन्न का अपमान होता है बल्कि लड़की के पिता के वर्षों कमाई का, उसकी भावनाओं का अपमान होता है। जिसके यहां किसी की मृत्यु होती है उसे उसके परिवार का एक सदस्य चला जाता है। पहले तो बहुत सारे पैसे इलाज में खर्च होते हैं उसके बाद उनके सिर पर विपत्ति गिरती है फिर भी परिवार के लोग अपने कलेजा पर पत्थर रखकर मृतक की आत्मा की शांति के लिए एवं अपने पुण्य के लिए मृत्यु भोज करते हैं। इस मृत्यु भोज में जो लोग शामिल होते हैं वह ज्यादा से ज्यादा पत्तल में लेकर कुछ कहते हैं, कुछ गिराते हैं, बर्बाद करते हैं, लेने का दो पूरी, ले लेते हैं 8 पूरी, लेने का एक मिठाई, लेते हैं 10 मिठाई, अनावश्यक भोजन लेकर वह उसमें छोड़ देते हैं और बर्बाद करते हैं, इससे आर्थिक रूप से उस परिवार का नुकसान होता है। इस बर्बादी पर उसका कलेजा छलनी हो जाता है। वह किसी को बता नहीं सकता कि इस आयोजन के लिए उसने कितना रुपया उधार लिया था और किस -किस से लिया था! इसलिए अगर हम किसी की शादी में जाते हैं या मुंडन संस्कार में जाते हैं,किसी भी तरह के भोज में शामिल होते हैं तो हमें निम्न प्रकार से भोजन की बर्बादी को रोकना चाहिए:-
- हम जितना खाएं उतने ही खाना अपने थाली में लें।
- लिए गये खाना को पूरी तरह से खत्म कर दें।
- यह बात अपने परिवार के सभी सदस्यों को बताएं।
- खाओ मन भर छोड़ो ना कन भर का स्लोगन लिखवायें।
- खाना पूरा खाने के बाद हीं दुबारा लें।
- बच्चों को बचपन में हीं “अन्न ब्रह्म है” की शिक्षा दें एवं उसे बर्बाद करने से रोकें।
- अन्न से आनंद है। बिना अन्न के पूजा,पाठ, ज्ञान, शिक्षा कुछ भी संभव नहीं। भगवान बुद्ध की कहानी सुनायें।
- बच्चों को किसान की मेहनत और तकलीफ से अवगत कराएं।
- ज्यादा भूख लगने पर हीं भोजन करें।
- खाने से पूर्व ईश्वर इसे माता- पिता पितर को समर्पित करें।
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका
मध्य विद्यालय सुरीगाँव ,बायसी पूर्णियाँ, बिहार