बिरजू
बिरजू के क्लास में आते ही बच्चे शोर मचाना शुरू कर दिए। झूठा-झूठा, चोर-चोर! अरे यह क्याा, क्यों शोर मचा रखे हो क्लास में मैडम ने पूछा। मैडम बिरजू आया है। हमेशा टिफिन में भाग जाता है। कभी तो सुबह भी देरी से विद्यालय आता है और कई-कई बहाने भी बनाता है। सभी सर और मैडम कहते हैं कि रहने दो उसे वह पढ़ना नहीं चाहता, बदमाश बच्चा है। उससे बात मत करो आप भी छोड़ दीजिए, उसे अकेले। नई मैडम ने कहा- चलो बंद करो सभी अपनी बकवास। बिरजू अंदर आओ, बैठो। क्या यह सभी बच्चे सही कह रहे हैं? बिरजू ने हां कहां और चुपचाप बैठ गया। मैडम के बार-बार देर से विद्यालय आने का कारण और टिफिन में भाग जाने का कारण पूछने पर भी जवाब नहीं दिया उसने। उसी दिन शाम को मैडम बाजार घूमने निकली तो उसने देखा कि बिरजू एक होटल में बर्तन धो रहा है। जैसे ही उसकी नजर मैडम पर पड़ी वह छुपने लगा। फिर मैडम उसके घर गई तो जाकर सारी बातें सुनकर अवाक हो गई। घर में बीमार मां और दो छोटी बहनें थी। उसकी मां ने किसी से १००० रुपये कर्ज लिया था जिसे सही समय पर चुका न सकी तो बिरजू को काम करना पड़ रहा। मैडम दुकान में जाकर दुकानदार को बाल श्रम एक कानूनी अपराध है, जिसकी सरकार से सजा भी दी जाती है, ऐसी जानकारी उन लोगों को दिया और उनके पैसे भी चुका दिए। विद्यालय आकर बिरजू की सच्चाई सबों को सुनाया तो सबों की आंखों में बिरजू के लिए प्रेम और स्नेह था।
शिक्षा- कभी भी किसी की सच्चाई जाने बिना उसे गलत नहीं ठहराना चाहिए।
हम सबों को भी अपने विद्यालय के प्रत्येक बच्चों की जानकारी अवश्य रखनी चाहिए ताकि हम सभी मिलकर बच्चों की समस्या का समाधान कर सके।
लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूप नगर
बारसोई, कटिहार
अच्छी रचना