साहसिक सफलता की कहानी-डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”

दिनभर की थकान के उपरांत भोजन और फिर सोने का समय।आँखों में गहरी नींद छाई हुई थी। हमसब अपने बिस्तर की ओर जा रहे थे। बच्चे सो गए थे। गाँव… साहसिक सफलता की कहानी-डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”Read more

बंटी की दोस्ती- कंचन प्रभा

बंटी एक छोटा, चुलबुला खरगोश था जो जंगल के किनारे अपने बिल में रहता था। वह बहुत मिलनसार था, लेकिन उसके कोई खास दोस्त नहीं थे। वह हमेशा सोचता कि… बंटी की दोस्ती- कंचन प्रभाRead more

समान अवसर- रूचिका

कक्षा से बच्चों के शोरगुल की आवाजें आ रही थी, प्रधानाध्यापक ने झांककर देखा तो कुछ बच्चे आपस में उलझ रहे थे। उन्होंने बच्चों को डाँटते हुए कहा कि दस… समान अवसर- रूचिकाRead more

बच्चों की होली- लवली कुमारी

अरे मुझे नहीं देखो -देखो इसे लगाओमोहन ,राजा, मीना ,गीता आज विधालय में बहुत मस्ती कर रहे थे। क्योंकि कल होली जो है।सभी बच्चे एक -दूसरे को रंग,अबीर लगा कर… बच्चों की होली- लवली कुमारीRead more

संध्या पाठशाला – धीरज कुमार

बात आज से लगभग तीन वर्ष पहले की है। ठंडी की शुरुआत हो चुकी थी।शादी विवाह में बजने वाला शोर समाप्त हो चुका था। दिसम्बर महीने का अंतिम सप्ताह चल… संध्या पाठशाला – धीरज कुमारRead more

बाल कथा – निधि चौधरी

चंचल वन में जलेबी दौड़ का आयोजन किया गया। राजा शेर सिंह ने सभी जानवरों को कबूतर काका द्वारा यह संदेश भिजवाया। सभी जानवरों में उत्साह का माहौल था। खेल… बाल कथा – निधि चौधरीRead more

स्वामी विवेकानंद के संदेश उपयोगी व ग्राह्य- गिरीन्द्र मोहन झा

स्वामी विवेकानंद का आज निर्वाण दिवस है। आज ही के दिन 4 जुलाई, 1902 को उन्होंने अपने देह का त्याग कर दिया । आज के दिन छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों के… स्वामी विवेकानंद के संदेश उपयोगी व ग्राह्य- गिरीन्द्र मोहन झाRead more

कर्म और विचार- गिरीन्द्र मोहन झा

कहना कठिन है, कर्म पहले आया अथवा विचार? रामायण के किष्किन्धाकाण्ड में केवल विचार है, तो परिणाम कुछ नहीं, लंकाकाण्ड या युद्धकाण्ड में केवल कर्म है, तो परिणाम में पतन… कर्म और विचार- गिरीन्द्र मोहन झाRead more

शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम् -गिरीन्द्र मोहन झा

रावण के द्वारा दी गयी शिक्षा शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम्(शुभ कार्य जब मन में आए तो उसे शीघ्र कर लो, अशुभ जब मन में आए तो उसे टालते चले जाओ।)… शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम् -गिरीन्द्र मोहन झाRead more

समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमार

#पांच साल बेमिसाल बिहार के शिक्षा विभाग में शिक्षकों ने स्वप्रेरणा से एक ऐसी गतिविधि से जुड़ते गए जहां से शिक्षकों के खुद की जो बहुमुखी विकास के साथ-साथ शिक्षार्थी,… समर्पण से शक्ति तक, पांच साल बेमिसाल – डॉ मनीष कुमारRead more