महाभारत के वनपर्व में महामुनि मार्कण्डेय जब पाण्डवों से मिलते हैं तो पाण्डव उनसे बहुत सारे प्रश्न करते हैं, उनमें एक प्रश्न यह भी होता है, ऋषिवर, क्या द्रौपदी से… वट सावित्री व्रत : गिरीन्द्र मोहन झाRead more
Category: निबंध
अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
अंग्रेजी भाषा की यात्रा एक सामान्य पिछड़े कबीले से शुरू होकर जहां के सभ्य सुसंस्कृत कहे जाने वाले लोगों से तिरस्कृत स्थिति से आज कालजयी और परिधिमुक्त स्थिति को प्राप्त… अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more
कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झा
संस्कृत भाषा के कृ धातु में अच् प्रत्यय के योग से कर्म शब्द बना है। यत् क्रियते तत् कर्म अर्थात् जो किया जाता है, वही कर्म है।कर्म तीन प्रकार के… कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झाRead more
हिंदी में रोजगार की संभावनाएं- आशीष अम्बर
हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। आज हिंदी भाषा के बढ़ते चलन और वैश्विक रूप ने रोजगार की अनेक संभावनाओं को उजागर किया है। विविध क्षेत्रों में इसकी स्वीकृति और… हिंदी में रोजगार की संभावनाएं- आशीष अम्बरRead more
अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झा
अकेलापन बहिर्मुखी और एकांत अन्तर्मुखी होता है। धारावाहिक महाभारत में पितामह गंगापुत्र भीष्म का एक संवाद है, “धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति अकेला होता है। धर्म व्यक्तिगत होता है। धर्म… अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झाRead more
प्रकृति – रणजीत कुशवाहा
हम सभी मानते है कि प्रकृति हमेशा न्याय करती है और यह मानना भी चाहिए।जो घटनाएं घटित होती है प्रकृति उसको पहले लिख चुकी होती है। अगर प्रकृति न्याय करतीं… प्रकृति – रणजीत कुशवाहाRead more
मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोद
मूल्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है-उपयोगिता या वांछनीयता।सामान्यतः किसी समाज में उन आदर्शों को महत्व दिया जाता है,जिनसे उस समाज के व्यक्तियों का व्यवहार निर्देशित तथा नियंत्रित होता है, जिसे… मूल्यों के विकास में परिवार की भूमिका- विमल कुमार विनोदRead more
सदव्यवहार- विमल कुमार विनोद
किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसका व्यवहार बहुत कीमती चीज माना जाता है।व्यवहार किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक बेशकीमती गहना माना जाता है,जिसके बिना लोगों का जीवन… सदव्यवहार- विमल कुमार विनोदRead more
हिन्दी भाषा और हमारी सोंच-श्री विमल कुमार
बच्चा जब जन्म लेता है,उसके बाद धीरे-धीरे उसका विकास होता है,जिसमें बच्चा जन्म लेने के बाद सबसे पहले रोना,चूसना और कपड़ा गीला करना ही जानता है।उसके बाद विकास की गति… हिन्दी भाषा और हमारी सोंच-श्री विमल कुमारRead more
मास्क की कहानी-धीरज कुमार
मास्क की कहानी आज सारी दुनिया मास्क के नाम से परिचित है। एक छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति को भी मास्क के बारे में… मास्क की कहानी-धीरज कुमारRead more