लघुकथा आज देर शाम रघुनाथ जब घर लौटा तो पत्नी राधिका को डरी-सहमी मकान के सामने बरसाती में पाया। कारण पूछने पर वह रोनी सूरत बनाकर बोली -‘ आज तो… अपना-पराया- संजीव प्रियदर्शीRead more
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फर्ज- संजीव प्रियदर्शी
एक लघुकथा चोर-चोर का शोर सुनते ही अपनी जान पर खेलकर भाग रहे लड़के के पीछे लोग दौड़ने लगे थे। कुछ ही देर बाद सड़क पर हुजूम खड़ा था। लड़के… फर्ज- संजीव प्रियदर्शीRead more
लक्ष्य बिना जीवन बेकार-श्री विमल कुमार “विनोद”
प्रत्येक जीव के जीवन जीने का अपना लक्ष्य होता है ,जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह प्रयास करता है ।अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये वह लगातार संघर्ष करता… लक्ष्य बिना जीवन बेकार-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
इनकलाब- संजीव प्रियदर्शी
ब्रिटिश हुकूमत का काल था।उस समय भारतीय समाज अनेक कुप्रथाओं से दूषित पड़ा था, जिसमें नरबलि का प्रचालन भी जोरों पर था।लोग अपने-अपने इष्टदेवों को प्रसन्न करने अथवा मन्नतें पूरी… इनकलाब- संजीव प्रियदर्शीRead more
वृक्ष लगाओ,रोजगार पाओ- श्री विमल कुमार “विनोद”
रामू,श्याम,मोहन,रघू,शशि,सोहन नामक बेरोजगार दोस्त जीवन में बेरोजगारी की मार से जूझते हुये तबाही के चरम शिखर पर पहुँच गये हैं।अब ये दोस्त मिलकर कोई अच्छा सा धंधा करना चाहते हैं।इन… वृक्ष लगाओ,रोजगार पाओ- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”
(राष्ट्रीय बालिका दिवस पर श्री विमल कुमार”विनोद” की प्रस्तुति।)23 वर्षीय मोहन एक सीधा- साधा खूबसूरत लड़का जो कि कर्मठ लेकिन गरीब परिवार में जन्म लिया था।जबकि शोभा नामक एक साँवली… वृक्ष धन अर्जन का एक साधन- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोद
।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते थे।कामकाज करते-करते इनको यह महसूस होने लगता है कि अब जीवन के ग्राहस्थ आश्रम मेें प्रवेश किया जाय।इनके माता-पिता जी को… कालचक्र- श्री विमल कुमार विनोदRead more
जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”
श्री विमल कुमार”विनोद”लिखित लघुकथा।मोहन बाबू जो कि एक दफ्तर में काम करते हैं।इनके परिवार में कुल मिलाकर लगभग दस सदस्य हैं, जिनमें से इकलौता कमाने वाले मोहन बाबू ही हैं।दिनभर… जलती चितायें- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
लघुकथा- सुधीर कुमार
” आइए हरेंद्र चाचा , बैठिए । कहिए , कैसे आना हुआ ? ” घर से बाहर आते हुए मुखिया जी ने अपने पड़ोसी हरेंद्र ठाकुर को देखते हुए कहा… लघुकथा- सुधीर कुमारRead more
हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरव
कुंदन का परीक्षाफल आज निकलने वाला है। इसीलिए वह सुबह से ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होने लगा। स्कूल जाने के समय तैयार हो स्कूल की ओर चल पड़ा। स्कूल… हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरवRead more