कोविड के बाद मेरी पहली कक्षा
कोविड-19 के बाद विद्यालय में पुनः चहल पहल देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि लगभग ग्यारह महीने तक बंद रहने के बाद विद्यालय पुनः खुल गया है। टोले, मुहल्ले, गलियों और सड़कों पर बच्चे विद्यालयी पोशाक में विद्यालय जाते हुए नजर आ रहे थे। आज विद्यालय खुलने के पहले दिन कुछ कम बच्चे विद्यालय आए लेकिन जो भी बच्चे विद्यालय आए वे ऐसे बच्चे थे जो विद्यालय की प्रत्येक गतिविधियों में रूचि रखते हैं और उसे पठन पाठन से गहरा लगाव भी है। ये बच्चे विद्यालय खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे क्योंकि उनकी पढ़ाई बाधित हो रही थी ।
ठीक नौ बजे का समय था। मैं और मेरे सहयोगी शिक्षक/शिक्षिका तथा प्रधानाचार्य महोदय विद्यालय परिसर में मौजूद थे। कोई आपस में कोविड पर चर्चा कर रहे थे तो कोई विद्यालय परिसर एवं वर्ग कक्ष की साफ-सफाई करा रहे थे। इतने में छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों का विद्यालय में प्रवेश होना प्रारंभ हुआ। सभी बच्चे काफी प्रसन्न दिख रहे थे ।खुशी-खुशी सभी बच्चों ने शिक्षकों का अभिवादन किया–
गुड मॉर्निंग सर……
नमस्ते सर……
प्रणाम सर…
सभी शिक्षकों ने बच्चों का अभिवादन को स्वीकारते हुए बच्चों का भी अभिवादन किए।
इसके बाद प्रधानाचार्य और मैं सभी बच्चों को कोविड के बाद खुले विद्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश पर विस्तृत चर्चा की फि। चेतना सत्र के लिए बच्चों को निर्देशित किया गया कि आपलोग कम से कम छह फीट की दूरी बनाकर खड़े रहेंगे। इसमें अन्य शिक्षक/शिक्षिका भी बच्चों की मदद कर रहे थे। एक बार फिर चेतना सत्र के दौरान बच्चों को कोविड-19 महामारी के बारे में सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन के विषय में बताया गया। सभी बच्चों ने चेतना सत्र की सारी बातें ध्यान पूर्वक सुना और समझा एवं जी सर, येस सर बोलकर अपनी सहमति भी जताया इसके बाद प्रधानाचार्य द्वारा चेतना सत्र की समाप्ति की धोषणा की गई। सभी बच्चे दिए गए दिशा निर्देश के आलोक में अपनी-अपनी कक्षा में नियत स्थान पर छह फीट की सामाजिक दूरी बनाते हुए बैठ गए तथा अपने वर्ग शिक्षक का बेसब्री से इंतजार करने लगे।
अन्य दो शिक्षकों के साथ मैंने भी बच्चों की उपस्थिति पंजी, खल्ली और डस्टर के साथ वर्ग कक्ष की ओर चल दिया। कक्षा में प्रवेश करते ही सभी बच्चों ने खड़े होकर गुड मॉर्निंग कहते हुए अभिवादन किया। मैंने भी सभी बच्चों का अभिवादन करते हुए उसे बैठने के लिए कहा और सभी बच्चे बैठ गए। इसके बाद मैंने श्यामपट्ट को साफ करते हुए दिनांक, घंटी, चर्चा के विषय आदि अंकित किया। मजे की बात यह कि मैंने चर्चा का विषय कोविड-19 को ही चुना। इसमें हमें बच्चों की भी पूर्ण सहमति मिली। बच्चे भी काफी उत्सुक दिखे। इस विषय को जानने के लिए
मैंने चर्चा की शुरुआत बच्चों से मुखातिब होते हुए किया। बच्चों से मैंने यह जानने का प्रयास किया कि लाकडॉउन के दौरान आपलोगों ने अपना समय कैसे बिताया। इसका जवाब सभी बच्चों ने अपने-अपने तरीके से दिया। किसी ने कहा कि हमलोग घरों में ही रहा करते थे तो कुछ ने बताया कि हमलोग इस दौरान काफी परेशान रहते थे क्योंकि खेलने जाने का मौका नहीं मिलता था। साक्षी और अनु ने बताया कि हमारे यहाँ सभी मास्क पहनते थे, बार-बार साबुन से हाथ धोते रहते थे, सामाजिक दूरी बनाकर रखते थे और इन सब बातों का पालन अब भी किया जा रहा है।
फिर मैंने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कोविड के विषय में कक्षा में विस्तृत चर्चा प्रारंभ किया। इस चर्चा में मैंने निम्न बिन्दुओं को शामिल किया —
@ कोविड वायरस कहाँ से आया ?
@ यह वायरस कैसे आया ?
@ वायरस की प्रकृति क्या है ?
@ यह कैसे पूरी दुनियाँ में फैल गया ?
@ इसमें चिकित्सक कैसे कार्य कर रहे थे ?
@ इसमें पुलिस/प्रशासनिक अधिकारियों की क्या भूमिका रही ?
@ टीका बनाने की प्रक्रिया तथा इसमें इतना समय क्यों लगा ?
@ दुनियाँ के देशों पर इसका कुप्रभाव आदि ?
इन सारे बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चाओं के दौरान बीच-बीच में बच्चों से मुखातिब होता रहा। बच्चे भी समझते रहने का सहमति देते रहते थे। अंत में जब टीका पर चर्चा प्रारंभ किया गया तो सभी बच्चों ने खुशी जताते हुए भारतीय चिकित्सकों का तहे दिल से धन्यवाद किया और राहत की सांस ली।
इस प्रकार मैं देखता हूँ कि कोविड के बाद मेरी पहली कक्षा बच्चों को बड़ा ही मजेदार और ज्ञानवर्धक लगा तथा सभी बच्चे संतुष्ट दिखे। अभी भी बच्चों को भीड़-भाड़ वाले जगह पर नहीं जाने, मास्क पहनने, बार-बार हाथों की सफाई करने तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने की महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कक्षा समाप्त किया गया।
भवानंद सिंह
अररिया, बिहार
टीओबी का दिल से आभार
बहुत अच्छा