गुरु का महत्व-लवली कुमारी

Lovely

Lovely

गुरु का महत्व

          आज कक्षा में काफी चहल-पहल थी। नए शिक्षक (मुरली मनोहर) सर जो आए थे। कक्षा के चार-पांच बच्चे कुछ बदमाश थे जिन्हें छोड़कर बाकी सभी बच्चों ने उनका बहुत स्वागत किया। कुछ दिनों तक पढ़ाई करने के बाद सर ने एक परीक्षा ली जिसमें कुछ बच्चों का रिजल्ट काफी अच्छा रहा पर इन चार-पांच बच्चों के रिजल्ट काफी खराब थे। सर ने बच्चों को बहुत समझाया पर उन्हें समझ में नहीं आई। फिर कुछ दिनों के बाद बच्चों की प्री बोर्ड के एग्जाम हुए जिसमें फिर उन बच्चों के रिजल्ट बहुत खराब हुए। मुरली मनोहर जी को बच्चों के भविष्य की काफी चिंता हो रही थी। उन्होंने बच्चों से बहुत प्यार से पूछा क्या बात है तुम लोगों को कोई परेशानी है या कोई भी बिषय समझ में नहीं आ रही है तो हमें बताओ मैं तुम्हारी मदद करूंगा पर बच्चों को लगा जैसे सर उसका अपमान कर रहे हैं और वे सर की बार-बार टोकने, रोकने से प्रसन्न नहीं थे। उन सरकारी बच्चों ने एक दिन जैसे ही सर विद्यालय की ओर आ रहे थे, उनकी साइकिल छीन ली और उन्हें धक्का दे दिया। सर को थोड़ी चोट भी आई पर सर ने बच्चों को पहचान लिया था। सर किसी तरह से विद्यालय आए। जैसे ही प्रधानाध्यापक की नजर मुरली मनोहर जी पर पड़ी तो वे सारी बातें पुछने लगे और घबरा कर पुलिस को बुला लिये पर सर ने पुलिस को यह कहकर भेज दिया कि शायद किसी को साइकिल की आवश्यकता होगी इसलिए उसने मेरी साइकिल ले ली आप जा सकते हैं। प्रधानाध्यापक बार-बार उनसे पूछते रहे कि आखिर आप की हालत किसने की शायद कहीं ये वही बच्चे तो नहीं जो कक्षा में आपको तंग करते रहते हैं। तो पीछे से एक बच्चे ने कहा जी सर। प्रधानाध्यापक ने कहा जब आप जानते थे तो उन्हें पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया। सर ने कहा क्योंकि 3 महिने बाद बच्चों के बोर्ड एग्जाम हैं। मैं नहीं चाहता कि इन बच्चों के भविष्य खराब हो जाय। समाज की नजरों में ये गिर जाए। फिर किसी विद्यालय में दाखिला ही न मिले, इतना कहना ही था कि बच्चों को लगा जैसे उनके पैरों तले जमीन खिसक गई हो। वे सर के पैर पकड़ कर बहुत रोए और माफी मांगने लगे और कहने लगे कि गुरु का हम सबों के जीवन में क्या महत्व है। आज हमने एक बहुत बड़ी गलती करके सीखा। गुरु सचमुच में हम सबों को निःस्वार्थ ज्ञान बांटते हैं। सही राह दिखाते हैं। आज से हम सभी अनुशासन में रहकर पढ़ाई करेंगे। गुरजनों का सम्मान करेंगे। इतना सुनना था कि सर ने बच्चों को गले लगा लिया। पीछे से सभी बच्चों की जोर-जोर से आवाज आने लगी इसलिए तो कहा गया है-

गुरुः ब्रह्मा, गुरुः विष्णु गुरुः देवो महेश्वर:

गुरुः साक्षात् परम ब्रह्म: तस्मै श्री गुरुवे नमः।

 

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूपनगर
बारसोई कटिहार

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply