आज सुबह से ही हर जगह बड़ी धूमधाम थी। फावड़ा, कुदाल, बाल्टी मग और नर्सरी से लिये कुछ पौधों के साथ नेताजी और उनके समर्थक चल रहे थे।
जहाँ भी खाली जमीन देखते वहाँ सभी रुक जाते और फिर शुरू हो जाता वृक्ष लगाओ कार्यक्रम। कुछ लोग मिट्टी कोडते ,एक दो लोग उसमें पौधे डालते और फिर पानी डालते हुए बड़ी शान से नेताजी फ़ोटो खिंचवाते। उसके बाद नेताजी अपने मुखारबिंद से पौधे के लाभ , धरा को बचाओ, इत्यादि पर भाषण देते, तालियों की गड़गड़ाहट में मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाते। पीछे से लोग कहते वाकई नेताजी बड़ा बढ़िया काम कर रहे हैं। पर्यावरण के लिए यह उत्कृष्ट कदम है।
मगर यह क्या …लगाए पौधों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं और बकरियां, गाय इत्यादि उसको बचने भी न देंगे।
यही सोचकर छठवीं कक्षा में पढ़ने वाला नन्दू भागता हुआ नेताजी के पास पहुँचा और बोला नेताजी पेड़ तो लगा दिया, उसको घेरवा दीजिये नहीं तो जानवर खा जाएंगे। नेताजी कुछ कहते उससे पहले उनका एक समर्थक नन्दू को डाँटते हुए बोला- ‘भागता है की नहीं’।
नन्दू डर के मारे वहाँ से हट गया मगर उसने अपने घर के आस-पास के पौधों को घेर दिया।
दूसरे दिन अखबार में खबर आई नेताजी ने हरियाली के लिए संकल्प लेकर पौधे लगवाए और उनकी प्रेरणा से गाँव के बच्चों ने बाड़ा लगवा दिया।
अखबार में कहीं नहीं लिखा था कि बच्चे ने पेड़ को सुरक्षित करने की माँग की।
जब तक सिर्फ दिखावे के लिए और सुर्खियों में रहने के लिए हम काम करेंगे तब तक हरित धरा के सपने को साकार नहीं कर सकते।
पर्यावरण सुरक्षा और हरित धरा के लिए जन जागृति ,बौद्धिक चेतना और अपनी जिम्मेदारी का भान होना जरूरी है।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ, गुठनी, सिवान बिहार