हिंदी में रोजगार की संभावनाएं- आशीष अम्बर

हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। आज हिंदी भाषा के बढ़ते चलन और वैश्विक रूप ने रोजगार की अनेक संभावनाओं को उजागर किया है। विविध क्षेत्रों में इसकी स्वीकृति और प्रयोजनीयता बढ़ने से हिंदी को एक नई दृष्टि से देखा जा रहा है। निश्चित ही इस दृष्टि में बाजार का बहुत बड़ा योगदान है। आज के समय में किसी भाषा या बोली के जीवित रहने के लिए मात्र साहित्य की नहीं, बल्कि उसे व्यवसाय , विज्ञान और रोजगार की भाषा बनाने की जरूरत होती है। विज्ञान और तकनीक के इस युग के साथ हिंदी कदमताल करती दिखाई दे रही है। जब भी भाषा का विस्तार और विकास होता है, तब उसमें एक दृष्टि और जुड़ जाती है और वह है रोजगार की संभावना। आज हिंदी के बढ़ते चलन और वैश्विक रूप ने रोजगार की अनेक संभावनाओं को उजागर किया है। निश्चित रूप से इस भाषा के महत्व को और भी ज्यादा सारगर्भित किया है। गूगल में भी अब हिंदी भाषा द्वारा सामग्री को खोजा या सर्च किया रहा है। ज्ञानार्जन की अभिलाषा के कारण अनुवाद प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है । भारतीय संविधान द्वारा खड़ी बोली को राजभाषा स्वीकार किए जाने के साथ हिंदी का परंपरागत स्वरूप और अध्ययन ज्यादा व्यावहारिक हो गया है। हर जीवित भाषा में वैज्ञानिक , तकनीक और उद्यमिता की संभावनाएं ज्यादा होती हैं।
हिंदी में आज कई तरह के रोजगार के मौके सामने आए हैं। सभी सरकारी अधिकारियों को दफ्तर में अंग्रेजी के साथ – साथ हिंदी के उपयोग अनिवार्य बनाया गया है। आदेश , नियम, अधिसूचना, प्रतिवेदन, प्रेस विज्ञप्ति , अनुबंध व विभिन्न प्रारूपों में हिंदी में बनाना और जारी करना अनिवार्य है।इसका सीधा – सा अर्थ है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सभी विभागों , उपविभागों में हिंदी अधिकारी , अनुवादक , प्रबंधक , उपप्रबंधक के रूप में रखे जा रहे हैं। सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में हिंदी अधिकारी के पद बनाए गए है।
निजी क्षेत्रों में भी बैंकिंग कारोबार बढ़ाने के लिए उपनगरों व ग्रामीण इलाकों में स्थानीय लोगों को भर्ती कर उन्हे स्थानीय भाषा में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा अनुवाद आज सबसे बड़ा रोजगार बनता जा रहा है। न केवल साहित्यिक किताबों बल्कि मीडिया, फिल्म, जनसंपर्क, बैंकिंग क्षेत्र, विज्ञापन आदि सभी जगहों पर अनुवाद करने वालों की काफी मांग है। टीवी पर तमाम चैनलों के मूल अंग्रेजी कार्यक्रम हम रोज हिंदी में देखते हैं। दर्शकों और पाठको को यह सुविधा अनुवाद के जरिए ही मिलती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि आज हिंदी भाषा का रोजगार के क्षेत्र में काफी महत्व बढ़ गया है। हमारे देश भारत में विज्ञापन का कारोबार हजारों करोड़ रूपए से ज्यादा का है। इसमें भी हिंदी में विज्ञापनों का बाजार तेजी से बढ़ा है। खास तौर से उत्तर भारत के राज्यों जो हर रारह से हिंदी भाषी राज्य कहें जाते हैं, विज्ञापन बाजार पर हिंदी का ही कब्जा है। कारोबार के हिसाब से देखें तो देश भर में आठ सौ से ज्यादा मान्यता विज्ञापन एजेंसियां है। अतः हम कह सकते हैं कि वास्तव में हिंदी एक रोजगारपरक भाषा है तो इसमें किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं होगी।

आशीष अम्बर

उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी, दरभंगा, बिहार

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