खुशियों का त्योहार दिवाली
दिवाली दीयों का त्यौहार, चारों ओर रोशनी ही रोशनी, खुशियाँ ही खुशियाँ, नए कपड़े, पटाखे, मिठाईयाँ ले मौज-मस्ती करते बच्चे, रंगीन आतिशबाजीयों से सजा आकाश, रंगोली और दिए से सजा आँगन, लक्ष्मी जी की पूजा करती हुई माँँ आज स्वयं भी लक्ष्मी की मूरत लग रही है। दिवाली के तीन-चार दिन पहले से ही घर, मोहल्ले की सफाई, घर की दीवारों पर पुताई की जा रही है। पूरे घर को रंगीन रोशनी की लड़ियों तथा फूलों से सजाया जा रहा है। घर के कोने-कोने को साफ किया जा रहा है।
दिवाली के एक दिन पहले धनतेरस में धन्वंतरि की पूजा की जा रही है। कहते हैं स्वच्छ और सुंदर वातावरण में लक्ष्मी जी का आह्वाहन किया जाता है। लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं तो पूरे वर्ष घर सुख, शांति, धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। इतना सब कुछ करते हुए अगर हम एक और काम करें तो हमारा पूरा जीवन ही दिवाली बन जाएगा। वो है घर की सफाई के साथ-साथ अपने मन की सफाई।
क्यों ना इस दिवाली हम अपने मन के सारे व्यर्थ संकल्पों की सफाई कर दें, हमारे मन में किसी के प्रति भी कोई ईर्ष्या-द्वेष, क्रोध, मान-अपमान का भाव न रहे। क्षमा कर दें सब की गलतियों को, हम परमात्मा के बच्चे, क्यों न परमात्मा की तरह ही दयावान बन जाएँ। हर पिता की यह कामना होती है कि उसकी संतान उसके ही आदर्शो पर चले। हमारे परम पिता परमात्मा भी अपने बच्चों से यही कामना रखते हैं। क्यों ना, हम भी अपने पिता की तरह क्षमावान दयावान बन प्यार के सागर के प्यार में लवलीन रह अपने पूरे जीवन को दिवाली की तरह रौशन कर दें। अपने प्यार से हर रिश्ते को भरपूर कर दें। अपने मीठे बोल से सबका मुंह मीठा कर दें। तो आइए इस दिवाली अपने अंतर्मन का दिया जलाते हैं। हर आत्मा को शुभ भावना और शुभकामना का दान देते हैं। सब का कल्याण हो, सभी स्वस्थ रहें, सुखी रहें।
शुभ दिपावाली
नाम – मधुमिता✍️✍️
विद्यालय – मध्य विद्यालय सिमलिया
पूर्णियाँ ( बिहार)
सुन्दर आलेख ।
उम्दा सृजन 👌👌👌