लक्ष्य बिना जीवन बेकार-श्री विमल कुमार “विनोद”

Bimal Kumar

प्रत्येक जीव के जीवन जीने का अपना लक्ष्य होता है ,जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह प्रयास करता है ।अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये वह लगातार संघर्ष करता रहता है।बिना लक्ष्य के मनुष्य का जीवन पतवार विहीन नाव के समान होता है। इसीलिए किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि” यदि मनोबल ऊँचा है तो लक्ष्य आसान होगा।” सावन के पवित्र महीने में लोग पवित्र गंगा से जल भरकर बाबानगरी जानेवाले कांवरियों पर आधारित है जो कि प्रत्येक मनुष्य को मनोगतयात्मक रूप से यह कहकर प्रेरित करता है कि विश्व का कोई भी कार्य असंभव नहीं है,अगर सच्ची लगन के साथ कार्य को किया जाए। किसी भी कार्य को करने में अगर सही लगन हो तो आप अपने लक्ष्य को आसानी से प्रप्त कर सकते हैं जैसे हम होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन ।मन में है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन ।
प्रत्येक मनुष्य को जीवन में सकारात्मक सोच लेकर किसी कार्य को करना चाहिए नकारात्मक सोच वाले मनुष्य अपना जीवन जी पाने में सफल नहीं हो पाते है ।अगर आप यह सोच कर चलते हैं कि वर्षा होगी या नहीं तो आप कृषि कार्य कर पाने में असफल हो जायेंगे ।
कोई भी बालक माता के गर्भ से ही सब कुछ सीख कर नहीं आता है बल्कि वह माता पिता ,परिवार, समाज तथा वातावरण से सीखता है तथा अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करता है ।बहुत सारे विद्यार्थी यह कहते हुए पाये जाते हैं कि मैं मेहनत करता हूँ लेकिन जीवन में लगातार असफल हो जाता हूँ ।वास्तविकता की जिन्दगी में ऐसी कोई भी बात नहीं होती है ।आपने निश्चित रूप से मेहनत करने में कमी की है क्योंकि असंभव चीज मूर्खों के शब्द कोष में पायी जाती है ।
किसी भी कार्य को करने के लिये जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता होती है,क्योंकि जीवन में लक्ष्य अगर होगा, और यदि वह उस लक्ष्य को आधार मानकर उसकी प्राप्ति के लिये प्रयास करेंगे तो उसको सफलता अवश्य मिलेगी।आप सावन के महीने में जब देखते हैं कि पवित्र गंगा से जल भरकर जब कांवरिया अपने लक्ष्य के रूप में अपने ईष्ट भोलेनाथ को जलार्पण करने के लिये लंबी दूरी पैदल चलकर निश्चित समय में जलार्पण कर देते हैं तच यह तभी संभव है,जब वह इसके प्रति समर्पित होते हैं।
इस प्रयास में बालक,वृद्ध ,महिलायें , युवा सभी लोग एक ही लक्ष्य के साथ गंगा जल भरकर अपने ईष्ट देव भोले नाथ पर जलार्पण करने के लिए बाबा नगरिया दूर है पर जाना जरूर है के संकल्प के साथ अनवरत पैदल चलकर आगे बढ़े जा रहे थे ।उनके मन में एक सकारात्मक सोच थी कि मेरा मनोबल ऊँचा है ओर मैं निश्चित रूप से अपने ईष्ट देव भोले नाथ को जलार्पण करने में सफल हो जाऊँगा। भाग्य पर जीने वाले मनुष्य की तुलना में कर्म पर जीने वाला मनुष्य ज्यादा बेहतर होता हैं।
अंत में आप सबों को एक सुन्दर संदेश के साथ कि अपने निर्धारित लक्ष्य कि ओर पूरे कोशिश के साथ कर्म कीजिए जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी ढेर सारी शुभकामनायें।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”
भलसुंधिया,गोड्डा(झारखंड)

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