एक लड़का, नाम था किसन। माँ का बहुत ही दुलारा था इसलिए बहुत ही शरारती था। उसकी उम्र पाँच वर्ष थी। हमेशा वह कुछ न कुछ गड़बड़ी करते रहता था। उसकी माँ इन्हीं सब बातों से परेशान रहती तथा हमेशा समझाती पर, वह नहीं मानता। उसके घर के पीछे एक छोटी-सी फुलवारी थी जिसमें चीटियाँ कहीं-कहीं घर बनाकर रहती थीं। किसन जब भी फुलवारी जाता तो चीटियों का घर तोड़ देता। उसकी माँ समझाती कि बेटा किसी भी जीव को परेशान नहीं करना चाहिए पर वह नहीं समझता। थोड़ा समय बीतने पर उसकी माँ ने उसका नाम पड़ोस के विद्यालय में लिखा दिया जिसके बाद उसकी शरारत कुछ कम हो गई पर फिर वह जब भी फुलवारी जाता तो वह चीटियों का घर सबसे पहले तोड़ता। एक दिन ऐसा हुआ कि उसने जैसे ही उनका घर तोड़ा बहुत-सी चींटी उसके हाथ और पैर पर चढ़ गए और काट लिया। अब किसन बहुत रोने लगा। उसकी आवाज सुनकर उसकी माँ आयी और उसे चुप कराकर घर ले गयीं और बताया कि देखो! तुमने उनका घर तोड़ दिया इसलिए उन्होंने गुस्साकर तुम्हें काट लिया। इस घटना के कुछ दिन बाद ही बहुत तेज आँधी और बारिश आयी। किसन का घर मिट्टी और फूस का था जिसके कारण उसके घर की छत उड़ गयीं। मिट्टी का घर होने के कारण उन्हें बारिश में बहुत तकलीफ हुई तो किसन ने अपनी माँ से कहा- माँ ! जैसे हमें तकलीफ हुई वैसे ही चीटियों को भी हुई होंगीं। किसन को सबक मिल गया कि किसी का घर नहीं तोड़ना चाहिए।
:- रेवती रानी
मध्य विद्यालय बसंतपुर, पीरपैंती, भागलपुर
सबक – रेवती रानी
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