स्तनपान की सुरक्षा एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी-हर्ष नारायण दास

Harshnarayan

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स्तनपान की सुरक्षा एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी

          वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021की थीम है-स्तनपान की सुरक्षा एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी।इस थीम के पीछे यह उद्देश्य है कि लोगों को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे बताये जाएं और इसके महत्व को संजोए जाए।

शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चों को वायरस और बैक्टरिया से लड़ने में मदद करते हैं। शिशुओं में अस्थमा या एलर्जी का खतरा भी कम होते हैं। उनके कान में संक्रमण श्वसन संबंधी बीमारियां और दस्त के लक्षण कम होते हैं। छह महीने की उम्र तक विशेष रूप से नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। WHO के अनुसार स्तनपान न केवल बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह माताओं के स्तन कैंसर, डिम्ब ग्रंथि के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के विकास के जोखिम को भी कम करता है।

1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इसमें गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्तनपान कराने को जागरूक किया जा रहा है। नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत के समान है। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण और अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। रोगप्रतिरोधात्मक शक्ति नए जन्मे हुए बच्चे में नहीं होती है। यह शक्ति शिशु को माँ के दूध से हासिल होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिंन नामक तत्व होता है जो बच्चों की आँत में लौह तत्व को बांध लेता है और लौह तत्व के अभाव में शिशु की आँत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं। माँ का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता उनमें बचपन में शुरू होनेवाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। स्तनपान से बच्चों का आई-क्यू अच्छी तरह विकसित होता है। पहला विश्व स्तनपान सप्ताह 1992 में मनाया गया। आइए हम सभी मिलकर इस योजना को सफल बनाने का प्रयास करें।

हर्ष नारायण दास
मध्य विद्यालय घीवहा (फारबिसगंज)
अररिया

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