टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना-रोमा कुमारी

टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना

शंकर- अरे आज का अखबार कहांँ है? यह रहा आज का अखबार जरा एक सरसरी निगाह से मुख्य बिंदुओं को देख तो लूं क्या देखूं? फिर से उसी तरह की बिहार के विद्यालयों के बारे में बोझिल खबरें।
श्वेता जरा चाय लाना…

श्वेता- यह रही आपकी चाय.. और चाय के साथ बिस्किट।
चाय बहुत अच्छी बनी है ना! जरा देखूँ आज की खबर क्या कुछ खास है.. आज के अखबार में। शंकर, आज आप इतने उदास क्यों दिख रहे हैं क्या हुआ?

शंकर – कुछ नहीं फिर से वही न्यूज़ मीडिया वाले सिर्फ बिहार की कमजोरी दिखाते हैं।

श्वेता- इसके लिए कोई कुछ करता क्यों नहीं?

(कौन करे और कैसे करें। (एक उदासी भरी आवाज) ठीक है अब तुम नाश्ता और मेरा टिफिन तैयार कर दो मुझे समय से स्कूल जाना है।)

बच्चे- प्रणाम सर! आज के पेपर में बिहार के स्कूल के बारे में अच्छा नहीं छपा है सर आप लोग कुछ कीजिए न सर।

शिक्षक- प्रणाम शंकर सर!

शंकरजी- प्रणाम !

शिक्षक- सर आज आप कुछ बुझे-बुझे से दिख रहे हैं क्या हुआ ?

शंकर जी- होगा क्या। आज का अखबार देखा है आपने!

शिक्षक बंधु- क्या करिएगा सर यह सब तो चलता रहता है अब क्या किया जा सकता है? चलिए घंटी लग गई प्रार्थना सभा शुरू करना है ।

(इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना ..)

शंकर जी- तो बच्चों आप लोग बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?

बच्चे- जो भी बने सर बस बिहार में नहीं रहना चाहते हैं। बिहार के बारे में लोग अच्छी-अच्छी बातें नहीं लिखते हैं बहुत ही गुस्सा आता है।

श्वेता- अरे आप आ गए। कैसा रहा आज का दिन ?
यह लीजिए पानी और मैं लाती हूँ आपके लिए गरमा-गरम चाय।

शंकर जी- रहने दो श्वेता अभी चाय पीने का मूड नहीं कर रहा है, थोड़ी देर मुझे अकेला छोड़ दो।

श्वेता- क्या हुआ शंकर कुछ दिनों से मैं देख रही हूंँ कि आप कुछ अंदर से परेशान है क्या बात है? मुझसे शेयर करें शायद कोई हल निकल जाए।

शंकर जी- क्या कहूंँ श्वेता तुम तो मुझे अच्छी तरह से जान रही हो कि मैं अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटता पर मैं ऐसा क्या करूंँ जिससे बिहार के विद्यालयों के बारे में अच्छी खबरें आए। तुम तो जानती ही हो कि यह हमारा बिहार प्राचीन काल से ही शिक्षा जगत में आगे रहा है जहां गौतम बुद्ध, महावीर, डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही है। जिस बिहार को नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्व विद्यालयों का गौरव प्राप्त है, जहांँ दुनिया के सभी छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते थे। आज वर्तमान समय में अपने बिहार को शिक्षा जगत के निचले पायदान पर नहीं देख सकता ।

श्वेता- आप लोग कुछ करते क्यों नहीं?

शंकरजी- क्या करूंँ। जहांँ से शुरू करता हूं फिर वहीं पहुंँच जाता हूंँ। अकेले किस प्रकार इन परिस्थितियों से निकलूँ।

श्वेता- आप व्हाट्सएप पर अपना और अपने सहयोगी शिक्षकों का एक ग्रुप क्यों नहीं बनाते? आप लोग अपने विद्यालयों की गतिविधियों को उसमें डाल कर तो देखें शायद आप लोगों को देखकर अन्य शिक्षकों को हिम्मत मिलेगी और वह भी अपनी तरफ से अच्छी कोशिश करेंगे। अगर बिहार को आगे देखना है तो इरादे को मजबूत और थोड़ा सब्र करना होगा।

बच्चे- हांँ पापा आप अपने स्कूल के एक्टिविटीज को ग्रुप में डाले हैं, हम लोग आपके साथ हैं।

गांव के बच्चे- अरे-अरे देखो, यह कितने अच्छे सर हैं, कितना अच्छे से पढ़ाते हैं, व्हाट्सएप पर वायरल हो रहा है! कल से हम लोग भी स्कूल जाएंगे।

अन्य शिक्षक- अरे आप लोगों ने कुछ सुना या देखा व्हाट्सएप पर ‘टीचरर्स ऑफ बिहार’ नाम का एक ग्रूप चल रहा है जो बहुत ही बढ़िया है। हम सोच रहे हैं कि हमलोग भी अपने विद्यालय की एक्टिविटीज को इसमें पोस्ट करें, देखते हैं क्या होता है? जो होगा अच्छा ही होगा।

शंकरजी- श्वेता कहाँ हो जरा जल्दी आओ देखो-देखो टीचर्स ऑफ बिहार ग्रुप को अच्छा फीडबैक मिल रहा है और मुझे SCERT में प्रशिक्षण के लिए चयनित भी किया गया है ।

श्वेता- यह तो बड़ी खुशी की बात है। मेरे हिसाब से अब आपको इस ग्रुप के बारे में एससीइआरटी में भी चर्चा करनी चाहिए।

शंकर- श्वेता कहां हो एक गुड न्यूज़ सुनो। SCERT में शिक्षक निदेशक महोदय के द्वारा इस ग्रुप की सराहना की गई और उन्होंने मुझे फेसबुक पर टीचर्स और बिहार के नाम एक पेज लाॅंच करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मुझे ट्विटर, इंस्टाग्राम पर भी इसे लेकर जाना चाहिए। इसके लिए मैं उन्हें और ईश्वर दोनों को ही दिल से धन्यवाद देता हूंँ।

श्वेता- बिहार के शिक्षकों के लिए यह एक सुनहरा पटल होगा जिससे अब पूरे विश्व के लोग इस पटल पर बिहार के शिक्षकों की गतिविधियों को देख सकेंगे।

कुछ शिक्षक गण- अरे फेसबुक पर टीचर्स ऑफ बिहार के नाम से एक ग्रूप चल रहा है। यह ग्रूप तो बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है। काफी सराहनीय है। हम सभी शिक्षकों को भी इसमें पोस्ट करना चाहिए।

सन 2020 करोना काल में भी टीचर्स ऑफ बिहार फोरम पर बहुत सारे शिक्षकों ने बहुत ही अच्छे-अच्छे कार्य किए। इस फोरम पर ज्ञानवर्धक ‘दिवस ज्ञान’, सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम, योग एवं व्यायाम आते हैं। अच्छी अच्छी कहानियांँ, कविताएं एवं बाल पत्रिकाएँ भी प्रकाशित की जाती है। इसके अलावा ऑनलाइन क्लासेस, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज समय-समय पर जारी किया जाता है। हमारा टीचर्स ऑफ बिहार व्यवसायिक शिक्षा के मद्देनजर कई तरह के प्रशिक्षण व्यवस्था भी करते हैं। सभी शिक्षक एक-दूसरे को कितने सहयोग के साथ सिखाते हैं! हमारा टीचर्स ऑफ बिहार फोरम एक पेज नहीं बल्कि ट्रेनिंग एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट की तरह कार्य कर रहा है। यह पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जिसमें हर शिक्षक कुछ लेना नहीं बल्कि देना जानते हैं।

रोमा कुमारी

म वि बालूधीमा

रानीगंज अररिया (स्वरचित एवं मौलिक)

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8 thoughts on “टीचर्स ऑफ बिहार की परिसंकल्पना-रोमा कुमारी

  1. बहुत ही प्रेरणादायक लगा रोमा जी कहानी अपनी जुबानी ”टीओबी ”परिसंकल्पना के बारे मेंं जो शत प्रतिशत सत्य है।

  2. बहुत सुंदर एवं मौलिक रचना👍👍
    धन्यवाद 👌👌

    1. यह मेरा परम सौभाग्य है को मेरी रचना पसंद आई वास्तविकता यह है कि आप से मिले हौसले से ही मैं उड़ान भर पाती हूं हर एक नई उड़ान के पीछे आपकी प्रेरणा है आप एक बेहतरीन जोहरी है सर जिसने इस पत्थर को तराशा है यह स्क्रिप्ट आप को समर्पित है सर

  3. यह मेरा परम सौभाग्य है की मेरी रचना पसंद आई वास्तविकता यह है कि आप से मिले हौसले से ही मैं उड़ान भर पाती हूं हर एक नई उड़ान के पीछे आपकी प्रेरणा है आप एक बेहतरीन जोहरी है सर जिसने इस पत्थर को तराशा है यह स्क्रिप्ट आप को समर्पित है सर

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