योग और स्वास्थ्य-लवली कुमारी

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योग और स्वास्थ्य

          योग एक पूर्ण विज्ञान, जीवन शैली, चिकित्सा पद्धति एवं एक पूर्ण अध्यात्म विद्या है। जिसे करोड़ों वर्ष पूर्व भारत के प्रज्ञावान ऋषि-मुनियों ने आविष्कार किया था। यह हमारे साकारात्मक चिंतन का मार्ग प्रशस्त करता है। हमारी सुप्त चेतना शक्ति का योग के द्वारा ही विकास होता है, सुप्त तंतुओं का पुनर्जागरण होता है एवं नए तंतुओं, कोशिकाओं का निर्माण होता है। योग से रक्त संचार भी ठीक प्रकार से होने लगता है। रक्त को वहन करने वाली धमनियां एवं शिराएं भी स्वस्थ हो जाती है। कई तरह की बीमारियों से भी निवृत्ति मिलती है। डायबिटीज, हृदय रोग जैसी भयंकर बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है।हमारे पाचन तंत्र सभी बीमारियों का मूल कारण है।योग से पाचन तंत्र पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। फेफड़ों में शुद्ध वायु का प्रवेश होता है जिससे फेफड़े स्वस्थ होते हैं तथा दमा, श्वास, एलर्जी आदि रोगों से भी छुटकारा मिलता है। योग से हमारा शरीर स्वस्थ और सुंदर बनता है। योग सूत्र के अनुसार योग के आठ अंग हैं ।यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।

यम पांच हैं- जैसे दूसरों को दुख न देना, सत्य का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य रहना और लोभ न करना।

नियम भी पांच हैं- शरीर मन-वाणी की शुद्धि, संतोष, तपस्या, अध्ययन और ईश्वर की उपासना।

आसन- बैठने और खड़े होने का सही तरीकाहै। हमें शौच और स्नान के बाद ही आसन करने चाहिए।आसन करने की जगह खुली और शांत होनी चाहिए और हमें अपनी शक्ति को ध्यान में रखकर ही आसन करनी चाहिए। आसन कई प्रकार के हैं जैसे- शलभासन, धनुरासन, हलासन, भुजंगासन, वज्रासन, पद्मासन इत्यादि।

प्राणायाम- श्वास को अपनी शक्ति के अनुसार नियंत्रित करना ही प्राणायाम कहलाता है। जैसे- कपालभाति, अनुलोम-विलोम।

यम, नियम, आसन और प्राणायाम योग के चार अंग शरीर की शुद्धि के लिए हैं इन्हें बहिरंग कहा जाता है।

प्रत्याहार- इंद्रियों पर पूर्ण अधिकार प्रत्याहार के द्वारा ही प्राप्त होता है।

धारणा- अपने मन को एकाग्र करना

ध्यान- यह एक बहुत बड़ी योगी प्रक्रिया है। इसके बिना किसी भी भौतिक तथा आध्यात्मिक लक्ष्य में हम सफल नहीं हो सकते। ध्यान करने से पहले प्राणायाम अवश्य करनी चाहिए क्योंकि प्राणायाम के द्वारा मन पूर्ण शांत एवं एकाग्र हो जाता है और योग का अंतिम अंग है- समाधि यह मन की पूर्ण विश्रांति की अवस्था है। इसी स्थिति में आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है जो योग स्वास्थ्य का अंतिम लक्ष्य है।

प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि योग के अंतरंग हैं जिसमें अपने अंतरमन की शुद्धि की साधना की जाती है।

अतः योग का अर्थ है जोड़ना अपने शरीर को मन से जोड़ना। हमें अपने परिवार, समाज को स्वस्थ रखने के लिए योग को अपने दिनचर्या में शामिल जरूर करना चाहिए। आइए हम सभी यह प्रतिज्ञा ले कि आज से सभी योग से अपने को जोड़े तथा दिनचर्या में शामिल करें ताकि खुद स्वस्थ रहकर एक स्वस्थ भारत का निर्माण करें एवं प्रधानमंत्री जी द्वारा 21 जून को शुरू करवाये गये अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को हमसब मिलकर सफल बनाएं।

लवली कुमारी

उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूपनगर
बारसोई कटिहार

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