बंटी की दोस्ती- कंचन प्रभा

kanchan

बंटी एक छोटा, चुलबुला खरगोश था जो जंगल के किनारे अपने बिल में रहता था। वह बहुत मिलनसार था, लेकिन उसके कोई खास दोस्त नहीं थे। वह हमेशा सोचता कि काश, उसे भी एक सच्चा दोस्त मिल जाए।

एक दिन, बंटी जंगल में गाजर खोजने निकला। अचानक, उसने देखा कि एक छोटी गिलहरी जिसका नाम गुड़िया था वो पेड़ की एक ऊँची डाल से नीचे गिरने वाली थी। बंटी बिना समय गँवाए दौड़ा और अपने मुलायम शरीर से गुड़िया को सहारा दे दिया। गुड़िया बच गई, लेकिन डर के मारे काँप रही थी।

बंटी ने मुस्कुराकर कहा, “चिंता मत करो, अब तुम सुरक्षित हो!”

गुड़िया ने आभार भरी नज़रों से बंटी को देखा और बोली, “तुमने मेरी जान बचाई! क्या हम दोस्त बन सकते हैं?”

बंटी खुशी से उछल पड़ा, “बिलकुल! मैं तो हमेशा से एक सच्चे दोस्त की तलाश में था!”

उस दिन के बाद से, बंटी और गुड़िया हमेशा साथ रहते। वे मिलकर फल और गाजर खोजते, खेलते और ढेर सारी बातें करते। उनकी दोस्ती पूरे जंगल में मिसाल बन गई।

शिक्षा:

सच्ची दोस्ती निःस्वार्थ भाव से मदद करने से बनती है। जब हम किसी की भलाई के लिए कुछ करते हैं, तो हमें जीवनभर के लिए सच्चे दोस्त मिल सकते हैं।

कंचन प्रभा (शिक्षिका)

रा0 मध्य विद्यालय गौसाघाट, सदर, दरभंगा

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