“उपहार में वृक्ष”- श्री विमल कुमार “विनोद”

Bimal Kumar

मोहन एक विवाह समारोह में गया है।विवाह के समय जब वरमाला का कार्यक्रम चल रहा है वहाँ पर कई बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुये हैं,जिसमें बड़े-बड़ेअक्षरों में लिखा हुआ है”उपहार में वृक्ष दें””वृक्ष बिना जीवन असंभव”।इस विवाह में”वृक्ष को ही उपहार देना है”।वरमाला के समय लोग जब वरमाला का आनन्द उठा रहे हैं,उस समय लड़की वाले के ओर से दूल्हा पक्ष की ओर से सभी उपस्थित बारातियों को सुन्दर- सुन्दर छोटा-छोटा पौधा दिया जा रहा है।इस कार्यक्रम में कुछ ऐसे लोग भी पहुँचे हुये हैं, जिनको यह समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर लोग इस कार्यक्रम में सभी को वृक्ष उपहार में क्यों दे रहे हैं?
विजय-इस गाँव की यह परंपरा रही है कि किसी भी शादी,जन्म
दिन या किसी भी कार्यक्रम के दरम्यान पेड़ भेंट करना।
मोहन-ठीक है विजय भैया हमलोग उपहार में पाये वृक्ष को अपने-अपने घरों में ले जा कर उसे लगायेंगे।

“अगला-दृश्य”

(सभी लोग अपने-अपने घर बाराती से लौट चुके हैं)
मोहन की पत्नी राधा-मेरे स्वामी जी,मेरे लिये बारात से लौटते समय क्या कुछ लाये हैं?
मोहन-(बरगद का पेड़ देते हुये)लो मैं यह बरगद का पेड़ लेकर आया हूँ,जो कि वरमाला के समय उपहार में मिला है।
राधा-(बीच में बात काटती हुई) क्या मेरे प्यारे पतिदेव जी आज मैं वट-सावित्री के दिन आपकी पूजा करने के लिये कितनी सज-धज कर बैठी हूँ।आपको मेरे लिये सुन्दर बहुत सारे वृक्ष तथा सुन्दर-स्वादिष्ट मिठाई लेकर आना चाहिये था तो आप एगो बरगद का पेड़ लेकर आये हैं।
मोहन-मेरी प्यारी राधा आज तुम बहुत सुन्दर सी लग रही हो।फिर सुनो राधा आज वट- सावित्री का त्योहार है जिसे महिलायें अपने पति की लंबी आयु के लिये मनाती है।साथ ही
वट-वृक्ष में बहुत बड़ी-बड़ी शाखायें होती हैं।किंवदंतियों के अनुसार महिलायें वट-वृक्ष की पूजा अपने वंश वृद्धि के लिये भी करती हैं।
राधा-तब तो मेरे पति जी मैं तो आज ही वट वृक्ष का रोपन करूँगी तथा उसी वट वृक्ष का आज मैं पूजन करूँगी।
(वट वृक्ष का विधि पूर्वक रोपन करने की तैयारी होने लगती है)
राधा-मेरे पति जी वट वृक्ष का रोपन करने के लिये पंडित जी को बुलाया जाय।
मोहन-ठीक है राधा,जैसी तुम्हारी इच्छा हो।(राधा के कहने पर ढोल बजाने वाले को बुलाया जाता है
मोहन भी अपनी पत्नी के लिये आज दूल्हा की तरह सज रहा है।इसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल जाती है।मोहन के अलावे अन्य घरों के लोगों को भी जो पीपल,जामुन, अर्जुन,नीम के जो वृक्ष मिले थे सभी परिवार के लोग वट-सावित्री
त्योहार के दिन का आनंद लेते हुये गाँव में जमकर वृक्षारोपण की योजना तैयार हो रही है।इस कार्यक्रम की भनक जिले के श्रीमान वन प्रमंडल पदाधिकारी को मिल जाती है,और वह भी आव-देखे-न-ताव वन विभाग की पूरी फौज के साथ पिक अप वैन गाड़ी में एक हजार पौधा लेकर गाँव में वृक्षारोपण के लिये पहुँच जाते हैं)
मोहन-(अपनी पत्नी राधा से)अरी राधा यह सब क्या हो रहा है,देखते हैं कि आज इस पूरे गाँव में “वन-महोत्सव”जैसा कार्यक्रम होने जैसा लग रहा है।
राधा-हाँ स्वामी आपने तो ठीक ही कहा।(इतने में जिला प्रशासन की गाड़ी भी सायरन बजाते हुये आ जाती है,पूरे गाँव में एक बड़ा सा मेला तथा त्योहार जैसा माहौल सा बन जाता है।तुरंत गाँव में एक बड़ा मंच बनकर तैयार हो जाता है।)
वन विभाग के साहेब-सुन लीजिये गाँव के मेरे प्रिय उत्साहित ग्रामीण
आज आपलोगों ने वृक्षारोपण के प्रति अपना जो एक जज्बा, उत्साह,सच्चा लगन दिखाने का प्रयास किया है इसके लिये वन प्रमंडल बांका(बिहार)के द्वारा अपने पोषक क्षेत्र के गाँव को गोद लेकर वृक्षारोपण कराते हुये इसे बिहार के साथ-साथ भारत वर्ष के मानचित्र पर एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहता है।आप सभी अच्छे सोच वाले किसानों से अनुरोध है कि आपलोग वन प्रमंडल बांका के कार्यालय में अपने जमीन की कागजात लेकर आयें और”मुख्यमंत्री जन-वन योजना”का अधिक-से-अधिक लाभ उठावें।इस उत्कृष्ट कार्य के लिये”वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार के अंतर्गत”श्रीमान वन प्रमंडल पदाधिकारी बांका आपके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने को तत्पर है।”
अंत में,जिलाधिकारी बांका ने उपस्थित सारे लोगों को वृक्षारोपण को एक महोत्सव के रूप में मनाने के लिये बहुत-बहुत बधाई दी।साथ ही लाभुक किसानों को 1000 रूपया नगद,अंग वस्त्र तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किये।
“राधा और मोहन”को लोगों में वृक्षारोपण के प्रति नई सोच जागरूक करने के लिये माननीय मुख्यमंत्री बिहार सरकार के द्वारा एक लाख का चेक प्रदान किया गया जिसे श्रीमान जिलाधिकारी महोदय के द्वारा अपने कर कमलों से”राधा और मोहन”को संयुक्त रूप से दिया गया।
आइये हमलोग भी अधिक-से- अधिक वृक्षारोपण करके अपना, पर्यावरण,धरती माता,वैश्विक स्तर पर जनहित का कार्य करने की कृपा करें।”वन,पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार तथा भारत सरकार आपके साथ है।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद” शिक्षाविद भलसुंधिया,गोड्डा (झारखंड)।

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