अनमोल
कुमकुम का एक वर्षीय बेटा चीनू लगातार रो रहा है। वह अपने बेटे को लेकर काम करने आती है।
वह दुधुआ-दुधुआ करके रोएं जा रहा है और वह अपने काम को समाप्त करने में लगी है। स्नेहा अपने लेखन कार्य में मशगूल है। परन्तु रोने के आवाज से एकाग्रता टूट जाती है।
स्नेहा झूंझलाते हुए कहा- कुमकुम उसे दूध पिला दो।उसे भूख लगी है।
कुमकुम- दूध कितना होगा दीदी। सही से खाना भी तो नहीं मिलता है। केवल मेरा चमड़ी चूसता है।
स्नेहा- तब दूध छुड़ा क्यो नही देती हो। अब खाना भी खिलाओ और ऊपर का दूध पिलाओ।
कुमकुम- अब ऊपर के दूध का पैसा कहां से आएगा। डाक्टर भी बोली है कि मां का दूध जितना पिएगा उतना अच्छा है। दीदी कुछ ऐसा आहार बताइए जिससे दूध बढ़ सके।
स्नेहा- हाॅं, माॅं का दूध अनमोल है। उसका स्थान कुछ भी नहीं ले सकता है। अच्छा कुमकुम तुम दाल तो जरूर बनाती हो। मंसूर का दाल बनाया करो और उसे एक कटोरी पी लेना। मेथी, सरसों और बथुआ का साग बहुत मंहगा नहीं है। उसे खाया करो। जीरा भूनकर पीस लो और जलजीरा का सेवन करो। शकरकंद गरीबों का भोजन माना जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन बी काम्प्लेक्स और मैग्नीशियम है। हाॅं करी पत्ता में मिलेनिन है।
यह जरूरी नहीं है कि बादाम, अखरोट और दूध ही खाएं। करेला भी शरीर में पानी कम होने नहीं देता है पर इसका सीमित मात्रा लेना।
कुमकुम- इतना नहीं जानती थी दीदी। आपने जो बताया है वह सब बहुत सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। कितना अच्छा होगा जब मेरे चिनू को भरपेट दूध मिलेगा। दीदी आपने जो जानकारी दिया उसके लिए आपको दिल से आभार।
कुमारी निरुपमा
बेगूसराय बिहार