स्तनपान बनाम जीरो फिगर
बदलते दौर में आज जब हर चीज बदल रही है तो माताएं क्यों पीछे रहे भला। जीरो फिगर का प्रचलन ऐसा चलन में आया कि बच्चों के मुंह से मां का स्तन ही छिन गया। आज की अंधी आधुनिकता में अपने फिगर को मेन्टेन रखने के लिए माताएं नवजातों के मुंह से उसके दूध का अधिकार तक छीन रही हैं और कर्तव्यपरायणता के नाम पर डिब्बे वाला दूध और बोर्नवीटा पिला रहीं हैं। इस वजह से विश्व भर के बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। इसी कारण से विश्व स्तनपान दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी देशों में 01अगस्त को मनाया जाता है एवं 1अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह। माँ के गर्भ से भूयिष्ठ होने पर माँ के दूध का ‘कोलेस्ट्रम’ बच्चों को कई बीमारियों से बचाता है। अत: बिना किसी हिचक के बच्चों को मां का दूध पिलाया जाना चाहिए। यही नहीं 6 से 9 महीने तक यही दूध पिलाया जाना चाहिए। जिस माँ के स्तन में दूध नहीं हो उसका भी इलाज करायें। इसी प्रेरणा को आम जनमानस में प्रचारित और प्रसारित करने हेतु यह स्तनपान दिवस हर वर्ष मनाया जाता है। इससे सबसे बड़ा फायदा यही होता है कि बच्चों को कुपोषण और प्रारंभिक अवस्था में रोग भी कम ही होता है। माँ के दूध का कोई विकल्प नहीं है। यद्यपि गाय और बकरी के दूध का भी प्रयोग अंतरिम व्यवस्था के तौर पर हो सकता है। इसका खास उद्येश्य देहात की उन भ्रांतियों को दूर करना भी है कि जन्म के तुरत बाद माँ का दूध नहीं देना है। माँ व बच्चे दोनों के लिए जरूरी है।
अतः सभी से आग्रह है कि इस बात पर विशेष ध्यान दें।
स्वराक्षी स्वरा ✍️