आजादी छोटू की-लवली कुमारी

lovely kumari

भोंदू – भोंदू यह आवाज विधालय के बच्चों की ओर से आ रही थी , छोटू के लिए । छोटू जो एक नीचे जाति का बच्चा था, सभी उसे देखकर घृणा करते। कल के राष्ट्रीय पर्व यानी स्वतंत्रता दिवस की तैयारी में सभी बच्चे जुटे हुए थे इसलिए छोटे की भी इच्छा हो रही थी कि वह भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने पर क्या करता नीची जाति का होने के कारण उसे कोई बच्चे पसंद ही नहीं करते। कोई उसे कुछ करना तो दूर कुछ छुने ही नहीं देता बेचारा एक कोने में पड़े – पड़े सोचता रहता कि मैं अगर नीचे जाति का हूं तो उसमें मेरी क्या गलती है। क्या मुझे हक नहीं कि मैं भी 15 अगस्त में झंडा फहराऊं ,अपने आजादी के दिन को सबों के साथ खुशी से मनाऊं ।पर वह क्या करता शिक्षक हमेशा बच्चों को समझाते पर कोई बच्चा सुने तब ना ।छोटू पढ़ाई में बहुत तेज था इससे भी बच्चे उससे ईर्ष्या करते । स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम की सारी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई थी और अब बच्चे अपने घर को चले गए अगले दिन वह दिन आ गया जिसकी बच्चों को बेसब्री से इंतज़ार थी ।छोटू सहित सभी बच्चे विद्यालय में झंडा लेकर उपस्थित हो गए । सभी काफी खुश नजर आ रहे थे काफी चहल-पहल थी, पर छोटू एक कोने में खड़ा था वह अपने कागज के झंडे को बहुत ध्यान से देख रहा था की तभी अचानक बहुत तेज की आंधी आई इतनी तेज कि बच्चे गिरने लगे ,किसी- किसी को दीवार से चोट लग गई और इतने में जो झंडा था वह आंधी में उड़कर एक पेड़ पर अटक गया। तभी दौड़कर छोटू भी अपने दोस्तों को संभालने आ गया । उसे खुद भी चोट लगी थी फिर भी वह अपने दोस्तों की मदद कर था। थोड़ी देर बाद आंधी समाप्त हो गई पर झंडा तो पेड़ पर फंसा हुआ है अब झंडा कैसे फहराया जाएगा । सभी चिंता में पड़ गए, छोटू अपनी परवाह न करते हुए किसी भी तरह करके वह पेड़ पर चढ़ गया और वहां से झंडा उतार कर सम्मानपूर्वक नीचे ले आया। सभी बच्चे और शिक्षक गण छोटू की तरफ देख रहे थे और उसको शाबाशी दे रहे थे वह बच्चे भी जो छोटू को देखना तक पसंद नहीं करते थे आज वह बच्चे भी छोटू की तारीफ कर रहे थे। तो विद्यालय के प्राचार्य जी ने कहा देखा अपनी जान की परवाह किए बिना ही इस बच्चे ने हमारे भारत मां की शान तिरंगा को संभाल कर सम्मानपूर्वक के साथ नीचे उतारा और इतना ही नहीं सबों की मदद भी की।हमें गर्व है छोटू जैसे बच्चे पर , सारे बच्चों ने भी कहा बिल्कुल सही कहा सर आपने । छोटू के दोस्तों को बहुत शर्मिन्दगी महसूस हो रही थी पर तभी छोटू अपने दोस्तों से आकर लिपट गया। सबों ने मिलकर झंडोत्तोलन का कार्यक्रम किया । एक साथ झंडा गीत और राष्ट्रगान गाया। आज सचमुच छोटू की आजादी का दिन था। क्योंकि उसे अब विधालय में पूरी स्वतंत्रता जो मिल गई थी।

शिक्षा – किसी को भी देखकर घृणा नहीं करनी चाहिए। कोई भी धर्म बड़ा नहीं होता सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है।

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूपनगर
बारसोई, कटिहार।

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