जागरुकता
सूरज आज वर्ग में बहुत उदास बैठा था। दीपक समझ ही नहीं पा रहा था कि वह क्यों उदास है। फिर उसे याद आया कि सूरज के पिताजी की तबीयत खराब है। वह इसलिए भी शायद उदास हो।वह सूरज के पास जाकर कहने लगा- अरे ! सूरज चिंता की कोई बात नहीं है। चाचा जी सही समय पर दवा लेंगे और ठीक हो जाएंगे।
सूरज- हां वह तो ठीक है, पर….
दीपक- पर क्या?
सूरज- दवाईयां काफी महंगी है। एक पत्ता 800 रूपये का आता है।
दीपक- सूरज, क्या तुमने जेनेरिक दवाओं का नाम नहीं सुना है। ब्रांडेड दवाईयां मंहगी होती है। सरकार के निर्देश पर जेनेरिक दवाओं का निर्माण गरीब लोगो के उद्देश्य से बनाया जाता है। फिर उसने बताया कि ब्रांडेड एवं जेनेरिक दवाओं के बीच कीमत में बहुत अंतर है जबकि कंटेन्ट में कोई अंतर नहीं होता है।
सूरज- फिर लोग इसे लेते क्यों नहीं हैं।
दीपक- जागरूकता के अभाव के कारण। सरकार चाहती है कि डाॅक्टर जेनरिक दवा लिखें पर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव अपने कमीशन के खातिर ब्रांडेड दवा ही लिखवाते हैं।
सूरज- अच्छा, अब तो पापा को मैं जन औषधि केन्द्र से दवा लाकर दूंगा। अब दूसरे लोगों को भी जागरूक करूंगा। तुमने मेरी चिंता दूर कर दी।
कुमारी निरुपमा
बेगूसराय बिहार