झंडा गीत के रचयिता-हर्ष नारायण दास

Harshnarayan

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झंडा गीत के रचयिता

          स्वतंत्रता प्रेमी, सच्चे देशभक्त तथा देशवासियों के प्रति सम्मान और इसकी सतत रक्षा करने की प्रेरणा देने वाले राष्ट्रप्रिय “झण्डा गीत” के रचयिता श्यामलाल गुप्त “पार्षद” की देश सेवा अतुलनीय है। इनका जन्म 9 सितम्बर 1896 को कानपुर नगर के नर्वल ग्राम में हुआ था। पार्षद जी के पिता का नाम विश्वेश्वर तथा माता का नाम कौशल्या देवी था। मिडिल परीक्षा पास करने के बाद राजकीय विद्यालय में अध्यापन कार्य शुरू किया किन्तु गाँधीवादी विचारों से प्रभावित पार्षद जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। स्वभाव से अत्यन्त सहज एवं सरल पार्षद जी राष्ट्रभाषा प्रेमी संघर्षशील स्वतन्त्रता सेनानी, श्रेष्ठ कवि तथा महान समाजसेवी थे।नवजीवन पुस्तकालय हटिया कानपुर के सम्पर्क में रहते हुए उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लेखन किया। यहीं से गणेश शंकर विद्यार्थी के सम्पर्क में आये। उन दिनों स्वाधीनता की लड़ाई में प्रताप प्रेस मुखर पत्रकारिता कर रहा था। पार्षद जी भी विद्यार्थी जी के सान्निध्य में रहकर पत्रकारिता करने लगे। फतेहपुर में स्वाधीनता संग्राम की कमान संभाली। सच्चे मायने में पार्षद जी स्वाधीनता के सिपाही ही नहीं बल्कि त्यागी पुरुष थे। वे सन 1921 में अपने करोड़ों भारतीयों की दुर्दशा से प्रभावित होकर नंगे पैर, नंगे सिर रहकर आजादी की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया जिसे उन्होंने बखूबी निभाते हुए 1947 तक न ही जूते पहने और न ही सिर पर टोपी लगाई। गाँधीजी के मार्गदर्शन और विद्यार्थी जी तथा राजर्षि टंडन जी के आदेश पर 3 मार्च 1924 की रात को जनरल गंज (कानपुर) के कांग्रेस कार्यालय में इन्होंने “झंडा ऊँचा रहे हमारा” और राष्ट्रगगन की दिव्य ज्योति” दो गीतों का सृजन किया। इन गीतों ने क्रांतिकारियों में स्वतन्त्रता के प्रति और समर्पण भाव जगा दिया। सन 1924 के कांग्रेस अधिवेशन नागपुर में महात्मा गाँधी ने “झण्डा ऊँचा रहे हमारा” को झण्डा गीत घोषित किया। इसके बाद यह गीत जन-जन के मुख से सुनाई देने लगा। 15 अगस्त 1952 को लालकिले की प्राचीर में झण्डा रोहन के बाद जब पार्षद जी ने झण्डा गान किया तो उनके सम्मान में प्रधानमंत्री प० जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- पार्षद जी को कोई भले न जाने किन्तु झण्डागीत को सम्पूर्ण देश जानता है। स्वतन्त्रता की 25वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 1972 को लालकिले पर उन्होंने पुनः झंडा गीत का गायन किया। इसी वर्ष भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

10 अगस्त 1977 को झंडागीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त पार्षद का देहावसान हो गया।
ऐसे महान देशभक्त को कोटिशः नमन।

हर्ष नारायण दास
म० वि० घीवहा

फारबिसगंज अररिया

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