रजिया की माँ रजिया की शादी बारह वर्ष में करवा देना चाहती थी। यानी कि “बाल विवाह”, क्योंकि अगर रजिया पंद्रह, सत्रह साल की हो जाएगी तो उसके लायक लड़का नहीं मिलेगा और आजकल जमाना बहुत खराब है और जमाना बदल भी गया है।
रजिया दो बहनें थी। रजिया और बजिया। रजिया बड़ी थी और बजिया छोटी। रजिया अभी पढ़ना चाहती थी । रजिया की माँ बोली, “तुम कितना भी पढ़ लोगी, तुमको ससुराल में चूल्हा फूँकना हीं पड़ेगा” इसलिए पढ़कर क्या करोगी। रजिया माँ की बातें सुनकर चुप हो गई।
एक दिन रजिया के पापा रजिया के लिए लड़का देखने गए, लड़का पसंद हो गया यानी लड़का का घर-द्वार सुखी संपन्न था, लेकिन लड़के की उम्र लड़की से बीस वर्ष ज्यादा था ।
रजिया की माँ बहुत गरीब थी। वह सोची लड़का सुखी संपन्न है थोड़ा उम्र हीं न ज्यादा है कोई बात नहीं मेरी बेटी कभी दुख नहीं काटेगी। रजिया जब शादी और लड़के की ज्यादा उम्र के बारे में अपनी बहन से सुनी, तब वह आवाक रह गई और सिसक- सिसक कर रोने लगी। रजिया की रोना देख उसकी छोटी बहन बोली, दीदी तुम चिंता मत करो मैं कोई उपाय सोचती हूँ।
दूसरे दिन शादी की महफ़िल सज रही थी कि अचानक बगल में आग लग गई, रजिया का भी घर जल सकता था। किसी ने तुरंत अग्निशामक पुलिस को सूचना दी। मौके पर पुलिस भी आ गई और घर जलने एवं परिवार को जलने से बचा लिया। जब आगलगी समाप्त हो गई तब पुलिस ने रजिया की बहन बजिया से पूछी, “यहाँ किसलिए महफ़िल सजाया जा रहा है?” रजिया की बहन बोली- “ये मेरी दीदी है, इसी की शादी है ।”
पुलिस बोली ये तो अभी बहुत छोटी है। इसकी शादी इतने कम उम्र में कौन करा रहा है? पुलिस ने उनके माता-पिता से बातें की, माता-पिता को समझाया कि ये बाल विवाह कानूनी अपराध है आप दोनों पति-पत्नी को जेल भी हो सकती है।
पुलिस के कहने पर रजिया की शादी नहीं हुई। रजिया पुलिस अंकल को बहुत- बहुत धन्यवाद दी कि आज आपके कारण मैं जिंदगी और मौत से बच गई।
नीतू रानी
म०वि०सुरीगाँव, बायसी, पूर्णियाँ बिहार।