स्वतंत्रता मतलब सबको समान अवसर
विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस की जोर -शोर से तैयारी चल रही थी।कुछ बच्चे गाना गा रहे थे,कोई भाषण याद कर रहा था तो कोई कविता।
कुछ बड़े बच्चे तीन रंग के कागज से छोटे-छोटे झंडे बना रहे थे कि विद्यालय को सजा सकें।
बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था।
छोटू जो दूसरी कक्षा का छात्र था चुपचाप कोने में बैठकर सब कुछ देख रहा था।
दरअसल छोटू मूक बधिर था और वह स्वभाव से ही शांत था तो कोने में चुपचाप बैठा था।
तभी उसकी शिक्षिका उसे बुलाईं और इशारे से पूछा ,तुम इतना चुप क्यों हो,तुम भी कुछ बनाओ।
शिक्षिका के ऐसा कहने पर कुछ बच्चे जो पास में खड़े थे हँसने लगें और कहा,मैडम जी ये तो गूंगा, बहरा है इससे क्या बनेगा?
शिक्षिका ने बच्चों को डाँटा और कहा,इसका नाम छोटू है,खबरदार आज के बाद इसे कोई गूंगा बहरा कहा तो।
छोटू शायद मैडम की बात समझ गया और मुस्कुराने लगा।
और फिर वह बड़ी जोश में कार्डबोर्ड लेकर कोने में चला गया।
एक घण्टे बाद जब वह कार्डबोर्ड लेकर आया तो उस पर की गई चित्रकारी देख सभी हतप्रभ रह गए।
उसने भारत की इतनी खूबसूरत तस्वीर बनाई थी क्या कहने।
शिक्षिका ने बच्चों को समझाया किसी की शारीरिक दोषों का मजाक नही उड़ाना चाहिए।
सभी में कुछ विशेषता होती हमें उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।
स्वतंत्रता का मतलब ही यही है बिना भेदभाव के सबको समान अवसर मिले।
नेपथ्य में गाना बज रहा था,सारे जहाँ से अच्छा….
और इधर छोटू के आँखों में चमक और होठों पर मुस्कुराहट थी।
रूचिका
राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ,गुठनी सीवान बिहार