चुप्पी संस्कृति को खत्म करने का संकल्प लें इस बिहार दिवस-अरविंद कुमार

चुप्पी संस्कृति को खत्म करने का संकल्प लें इस बिहार दिवस             पिछले दो दशकों के पश्चात पुरातन शिक्षा प्रणाली में काफी कुछ बदलाव हुए… चुप्पी संस्कृति को खत्म करने का संकल्प लें इस बिहार दिवस-अरविंद कुमारRead more

अब हम तैयार हैं-अरविंद कुमार

अब हम तैयार हैं            विगत एक वर्ष कोरोना महामारी ने हमारा चहकना, फुदकना, हंसना मुस्कुराना, गाना सब कुछ छीन लिया था। विद्यालय खुल चुके हैं,… अब हम तैयार हैं-अरविंद कुमारRead more

नशा-अरविंद कुमार

नशा (इस कहानी के पात्र, घटनायें व स्थान काल्पनिक है, इसका उद्देश्य मनोरंजन है।) “नमिता अरे ! ओ नमिता !…….. लड़खड़ाते कदम, बहकी आवाजें, मुंह से निकलते विशेष दुर्गंध को… नशा-अरविंद कुमारRead more

कलंक-अरविंद कुमार

कलंक           “रमेश..जी, अरे! ऐ रमेश..जी.. उठअ..हो..कर्मचारी..साहेब, तनी नींद.. तोड़ल..जाय..हो “रामनगर थाने का दारोगा कुन्दन, रमेश के बांह पर हाथ रख, उसे हिलाते-डुलाते हुए बोला। दारोगा… कलंक-अरविंद कुमारRead more

बच्चा और कहानी-अरविंद कुमार

बच्चा और कहानी           आज बच्चों को लोरी सुनाने, कहानी सुनाने की परंपरा लुप्त सी होती चली जा रही है। दादी- नानी द्वारा बचपन में कहानियाँ… बच्चा और कहानी-अरविंद कुमारRead more