वैक्सीन लेने के लिए हुए जागरूक-लवली कुमारी

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वैक्सीन लेने के लिए हुए जागरूक

          विद्यालय से टीकाकरण हेतु गांव में सर्वे करने जब मैं अपने शिक्षक साथी के साथ गयी तो देखा कि ग्रामीण काफी भयभीत हैं। वे लोग अपने बारे में बताना नहीं चाह रहे थे। कितनों के घर का दरवाजा खट-खटाया तो बहुतों ने तो दरवाजा ही नहीं खोला, कुछ ने तो बुरा भला भी कहा। कुछ लोगों ने तो अपना नाम, पता, आधार देने से इंकार कर दिया। कुछ लोगों का कहना था कि दूसरे गांव में वैक्सीन लेने से दो लोगों की मौत हो गई है। क्या आप लोग हम लोगों को भी मारना चाहते हैं? सबों के चेहरे पर मौत का डर मंडरा रहा था। मेरे काफी समझाने पर भी वे लोग मानने को तैयार ही नहीं थे। उस दिन मैं निराश होकर घर आ गई। फिर अचानक घर में मेरे दिमाग में एक विचार आया। दूसरे दिन जब मैं सर्वे करने गई तो गांव के कुछ बच्चों को अपने साथ में ले लिया और बच्चों को साथ में लेकर नारा लगवाने लगी।

नारा-1-
माता-पिता आप ही हो मेरे सहारा,
वैक्सीन नहीं लगवाओगे तो हम हो जाएंगे बेसहारा।

2-यह देगा आपको जीवन दान,
कोरोना से होगा निदान।

3-इसकी न तो कोई साइड इफेक्ट,

थोड़ी दर्द और थोड़ी होगी फीवर एटैक।

4-वैक्सीन से अब नहीं है घबराना,
स्वस्थ और सुरक्षित जीवन है बनाना।

इसके बाद तो शायद लगा कि लोगों में कुछ परिवर्तन हुए। अब कुछ-कुछ लोगों ने अपनी जानकारी देनी शुरू की। बच्चों का मैंने धन्यवाद किया। पुन: मैं बच्चों को उनके घर वापस भेज दी। दो दिनों के बाद मेरे विद्यालय में वैक्सीनेसन सेंटर का शिविर लगाया गया था। सभी शिक्षक और नर्स टीकाकरण वाले समय से सेंटर पहुंच गए थे। फिर कुछ देर बाद ग्रामीणों की काफी भीड़ लग गई टीकाकरण हेतु। हम सभी शिक्षक आश्चर्यचकित हो गए। सबों की आंखों से डर की काली पट्टी हट चुकी थी। सभी टीका लेने हेतु जागरूक हो चुके थे। गांव वाले हम सभी शिक्षकों को धन्यवाद दे रहे थे कि आपसबों के कारण ही हमलोगों के अंदर से वैक्सीन न लेने वाला डर खत्म हुआ है।सबों के चेहरे पर काफी खुशी नजर आ रही थी।

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूपनगर
बारसोई, कटिहार

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