विश्व धरोहर स्थल नालंदा विश्वविद्यालय-कुमारी निरुपमा

Nirupama

Nirupama

 

विश्व धरोहर स्थल नालंदा विश्वविद्यालय

 

          शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दुनिया के कई देशों से पीछे है लेकिन एक समय था जब हिंदुस्तान शिक्षा का केन्द्र हुआ करता था। गुप्त शासक कुमारगुप्त ने इसकी स्थापना 450 ई० से 470 ई० के बीच की थी। इस विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा अत्यंत कठिन होता था। छात्रों को तीन कठिन परीक्षा स्तरों को उत्तीर्ण करना होता था।

यह विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय था। इस विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, फारस, तुर्की और इंडोनेशिया से भी छात्र विद्या ग्रहण करने आते थे। इसकी ख्याति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक बना रहा।

इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था। जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना था। केन्द्रीय विद्यालय में सात कक्ष और तीन सौ कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करता था। समस्त विश्वविद्यालय का प्रबंध कुलपति करते थे। यहां के प्रसिद्ध आचार्यों में शीलभद्र, धर्मपाल, चन्द्रपाल, गुणमति और स्थिरमति थे। ह्वेनसांग के समय में इस विश्वविद्यालय के प्रमुख शीलभद्र थे। वह एक महान आचार्य, शिक्षक और विद्वान थे।

छात्रों के रहने के लिए 300 कक्ष बने थे। एक या दो भिक्षु छात्र एक कमरे में रहते थे। नालंदा में नौ तल का एक विराट पुस्तकालय था जिसमें 3 लाख से अधिक पुस्तकों का संग्रह था। यहां बहुत सारे विषयों की पढ़ाई होती थी। वेद, वेदांत, सांख्य दर्शन, व्याकरण, शल्य विद्या, योगशास्त्र और चिकित्सा शास्त्र भी पाठ्यक्रम के अंतर्गत था। यहां 10000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2000 शिक्षक थे।

नालंदा विश्वविद्यालय यूनेस्को का विश्वधरोहर स्थल है। तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दिया था। कहा जाता है कि विश्वविद्यालय में इतनी पुस्तकें थी कि तीन महीने तक पुस्तकालय में आग धधकती रही। उसने अनेक धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षु को मार डाला। इस तरह से इतना ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालय को नेस्तनाबूद कर दिया। आज भी हम अपने इस धरोहर को संजोए है। खंडहर में तब्दील यह भग्नावशेष आज भी हमें गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है।

कुमारी निरुपमा
बेगूसराय बिहार

0 Likes
Spread the love

One thought on “विश्व धरोहर स्थल नालंदा विश्वविद्यालय-कुमारी निरुपमा

Leave a Reply