गलती से मिली सीख
एक दिन मैं लंच के समय अपने विद्यालय के बाहर बरामदे पर बैठ कर कुछ प्रशासनिक कार्य कर रही थी तभी वहाँ एक 15-16 साल का बच्चा आया और मोबाईल लगा कर तेज आवाज में गाने सुनने लगा। यह देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं बोली देख रहे हो यहाँ काम हो रहा है और तुम गाना सुन रहे हो कुछ पढ़ते लिखते क्यों नहीं हो?
इसपर बच्चे ने जो जवाब दिया वह सुनकर मैं तत्काल स्तब्ध हो गई और वो बगैर हिचकिचाये हुए अपनी बात बोल गया- मैंनेआपकी वजह से ही तो पढ़ना छोड़ दिया। मैं बोली मेरी वजह से?
तब वो सात साल पुरानी बातें बताने लगा- जब मैं अपने विद्यालय में अकेली शिक्षिका हुआ करती थी और उस वक़्त मेरा विद्यालय भवनहीन था इसलिए सभी बच्चों को एक साथ शिक्षा दिया करती थी। तब वो बच्चा “अरमान” तीसरी कक्षा में पढ़ता था। उस समय आपके द्वारा अन्य बच्चों से पूछा गया एक मामूली सा सवाल था कि तुम किस जिले में रहते हो?
इसपर पहली और दूसरी दोनों कक्षा के बच्चों में से किसी ने जबाव नहीं दिया था तब आपने मुझसे खड़े होकर इसका जबाव देने को कहा था और तब मैं भी उत्तर नहीं दे पाया था।
तब आप सारे बच्चों के सामने यह कहते हुए डांट दिया था की इतने बड़े हो गए हो और इतनी छोटी सी चीज नहीं जानते हो?
और फिर बगैर जबाव बताए आप अपने कामों में लग गई थी। मैं अपने सीट पर कुछ देर खड़ा रहा कि कब आप जबाव बताकर बैठने की अनुमति देंगी पर ऐसा नहीं हुआ। आप तो काम में लग गईं परंतु बाकी सभी बच्चों ने मेरा खूब मजाक बनाया।
उसी वक़्त मैंने ठान लिया था की आज के बाद मैं स्कूल नहीं आऊँगा। यहाँ केवल सवाल पूछा जाता है और नहीं जानने पर जबाव भी नहीं बताया जाता है और दूसरे बच्चों द्वारा चिढ़ाया भी जाता है तो ऐसे विद्यालय में पढ़ने का क्या फायदा? इससे तो अच्छा है मैं कोई काम कर लूँ जिससे मेरा गरीब परिवार को मदद मिलेगी।कुछ महीने के बाद मैं कमाने के लिए शहर चला गया।
यह सुनकर तत्काल मेरे आँखों में आँसू आ गये कि काश! मैं, अगर इस बच्चे की कोमल भावनाओं को तभी समझती और सही जवाब बताकर बैठने की अनुमति दे देती तो आज ये बच्चा बाल मजदूर बनने से बच जाता। आज मैं अपनी इस गलती से सीख ली हूँ कि अब कभी ऐसी गलती नहीं दुहराउँगी क्योंकि बच्चे डाँट की नहीं प्रेम की भाषा समझते हैं।
आँचल शरण प्रा. वि. टप्पूटोला बायसी पूर्णिया बिहार
हम शिक्षकों को सर्वप्रथम बच्चों को समझना होगा क्योंकि हम यदि उन्हें समझ लेते हैँ तो आधी बाज़ी जीत लेते हैँ
बहुत खुब मैडम
बहुत ही प्रेरणादायक
काफी सराहनीय रचना, बहुत खूब! 👌🏻👌🏻👌🏻
शिक्षकों के लिए इस कहानी में एक महत्वपूर्ण सन्देश है | शिक्षकों का व्यवहार बच्चों के मन में गहरा प्रभाव छोड़ता है| आँचल जी की सुन्दर कृति |
Bahut acchi rachana h aapki
Bahut acchi rachana h aapki
प्रेरणादायक एवमं सराहनीय रचना।