मदद-ज्योति कुमारी

मदद

          एक बार मनोज अपने दोस्तों के साथ बाइक पर बैठकर घूमने गया हुआ था। हमेशा कहता था अरे यार दूसरों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए मदद करके क्या होगा? हम जिसे जानते ही नहीं हैं उसकी मदद कैसे करेंगे हमें ऐसे नहीं करना चाहिए इन सब बातों से दूर रहना चाहिए हमें।

जब वह बाइक से घूमते हुए बाजार गया तो वहाँ एक जगह भीड़ थी, शायद किसी का एक्सीडेंट हो गया था। उसे बाइक चलाने में भी परेशानी हो रही थी। सभी देख रहे थे कि एक आदमी सड़क पर गिरा हुआ है और तड़प रहा है। उसके दोस्तों ने कहा चलो देखते हैं किस का एक्सीडेंट हुआ है पर मनोज ने कहा, अरे नहीं यार मुझे घर जाना है हमें किसी के पचड़े में नहीं पड़ना। पता नहीं कौन है? जिसको जानते नहीं हैं उसको देख कर क्या करोगे और ऐसे भी मुझे खून देखकर एलर्जी होती है। मेरे मोबाइल की बैटरी भी डेड हो गई है घर जाकर चार्ज करना है चलो घर चलते हैं।

घर पहुँचकर उसने मोबाइल चार्ज पर लगाया और अपनी माँ से कुछ खाने को मांगा।
उसकी माँ ने कहा- अरे मनोज आज तेरे पापा नहीं आए बहुत देर हो गई है सब्जी लाने गए थे। मनोज ने कहा- आपने फोन किया पापा को? माँ ने कहा- हाँ किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया। थोड़ी देर के बाद पुलिस का फोन आया। उसकी माँ के फोन पर, यह नंबर किसका है? उसकी माँ ने बताया- यह मोहन शर्मा जी का नंबर है। उन्होंने कहा देखिए हमें यह पता नहीं लेकिन शर्मा जी हॉस्पिटल में भर्ती हैं और उनकी हालत बहुत गंभीर है। हमें आपका नंबर शर्मा जी के मोबाइल से मिला और हमने आपको फोन लगाया आप जल्दी अस्पताल पहुंचिए। उसकी माँ घबरा गई और मनोज के साथ जल्दी-जल्दी अस्पताल पहुँची। मनोज को पुलिस ने बताया कि मार्केट एरिया में इंटर एक्सीडेंट हो गया था वहीं पड़े तड़प रहे थे बहुत देर से। किसी ने इनको यहाँ अस्पताल पहुंचाया है। तब मनोज को याद आया कि जब वह बाजार में था तो उसी जगह पर एक्सीडेंट हुआ था। अगर उसने उस समय एक्सीडेंट हुए व्यक्ति को देख लिया होता तो वह अपने पिताजी की मदद कर पाता लेकिन उसके पचड़े में न पड़ने और मदद न करने की वजह से आज उसके पिताजी इतनी देर तक सड़क पर तड़पते रहे। उसे बहुत ही दुःख हुआ और पछतावा हुआ कि काश उसने मदद की होती।आज अगर उसके पिताजी की मदद किसी ने न की होती यही सोच कर छोड़ दिया होता कि पचड़े में कौन पड़े तो उसके पिताजी आज जिंदा नहीं होते।

इसलिए हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि वह मेरा कौन है, मदद करने के लिए रिश्ते नाते नहीं देखना चाहिए जो भी हो उसकी मदद करनी चाहिए। कल अगर हम मुसीबत में रहेंगे तब हमारी लोग मदद कैसे करेंगे अगर हम दूसरों की मदद नहीं करेंगे तो। तब मनोज ने कसम खाई कि अब वह हमेशा दूसरों की मदद करेगा।

ज्योति कुमारी

मध्य विद्यालय भनरा, चांदन, बांका

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