श्री रामचंद्र जी का अवतरण-सुमोना घोष

श्री रामचंद्र जी का अवतरण

 

        कौशल नरेश की पुत्री कौशल्या भगवान विष्णु की अनन्य भक्त थी। वे सदैव भगवान विष्णु की पूजा आराधना में लीन रहती थी। कालांतर में कौशल्या जब बड़ी हुईं तो उनका विवाह अवधपुरी के नरेश राजा दशरथ जी के साथ हो गया साथ ही उनकी छोटी बहन सुमित्रा का विवाह भी राजा दशरथ जी के साथ ही हो गया। दोनों बहने अवधपुरी की रानियां महारानियां बनकर अवधपुर में निवास करने लगी।

कौशल्या अब भी भगवान विष्णु की आराधना सच्ची श्रद्धा, पूरी आस्था एवं लगन से किया करती थी।
अंततः एक दिन वह समय भी आया जब भगवान विष्णु अपने चतुर्भुज रूप में कौशल्या के समक्ष प्रकट हुए एवं कौशल्या से अपने मनचाहा वरदान मांगने की बात कही। कौशल्या भगवान विष्णु के शंख, चक्र, गदा, पद्म धारी चतुर्भुज अनुपम रूप को देखकर आश्चर्यचकित एवं भाव विभोर हो गई। वह बेसुध होकर उन्हें निहारती ही रह गई।

भगवान विष्णु ने कौशल्या से कहा- कौशल्या आपकी तपस्या पूरी हुई। बताइए आपके मन में क्या इच्छा है’?

कौशल्या हाथ जोड़कर प्रभु के समक्ष बैठ गईं एवं एक ही बात कह पाई कि प्रभु मैं आपके सानिध्य में रहना चाहती हूं।

भगवान विष्णु ने कहा ठीक है कौशल्या, मैं आपके साथ यहीं आपके अवधपुरी में निवास करने के लिए तैयार हूं परंतु आप बताएं कि मैं किस रूप में यहां निवास करूं?

कौशल्या ने पूर्ण श्रद्धा के साथ उत्तर दिया भगवान,
इस धरती पर मनुष्य का जो रूप सबसे प्यारा,
सबसे अधिक मनमोहक एवं सभी के मन को भाने वाला रूप है, वह है ‘बाल रूप’।
अतः भगवान आप बाल रूप में मेरे समक्ष प्रकट हो जाएं। भगवान मैं आपको अपने पुत्र के रूप में पाकर आप का लालन-पालन कर आपके सानिध्य में रहना चाहती हूं।

भगवान विष्णु ने यह सुनते ही कहा- ‘तथास्तु’ और अभिलंब एक नवजात शिशु के रूप में कौशल्या की गोद में विराजमान हो गए।

अतः कौशल्या की भक्ति के फलस्वरूप पृथ्वी पर व्याप्त अधर्म के नाश एवं धर्म की स्थापना हेतु भगवान श्री रामचंद्र जी का अवतार राजा दशरथ जी के घर में हुआ।

इस प्रकार चैत्र मास की नवमी तिथि को राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या जी को श्री राम, सुमित्रा जी को लक्ष्मण और शत्रुघ्न एवं सबसे छोटी रानी कैकेकी जी को भरत नामक पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई।
राजा दशरथ के घर आए राम।

Sumona Ghosh

स्रोत – कवि तुलसीदास जी द्वारा रचित कव्यः ‘भए प्रगट कृपाला, दीन दयाला’ पर आधारित।

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3 thoughts on “श्री रामचंद्र जी का अवतरण-सुमोना घोष

  1. बहुत ही अच्छी राम अवतरन कथा। मेरा भी बेटा का जन्म रामनवमी के दिन ही हुआ है। अभी वह दरभंगा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर है।

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