स्वर्ग और नरक-धीरज कुमार

Dhiraj

स्वर्ग और नरक

            एक बार की बात है। बाजार में रामलाल चाचा और प्रकाश चाचा आपस में किसी बात को लेकर आपस में झगड़ रहे होते हैं।

प्रकाश चाचा रामलाल चाचा से कहते हैं कि तुम्हें तो स्वर्ग में भी जगह नहीं मिलेगी।
जवाब में रामलाल चाचा भी प्रकाश चाचा से कहते हैं कि तुझे तो नरक भी नसीब नहीं होगा।

यह सब बातें एक छोटा बच्चा सुन रहा था।
बच्चे ने अपने पापा को टोकते हुए पूछा कि पापा यह स्वर्ग और नरक क्या होता है?

पापा ने उससे बोला कि बेटा मैं अभी काम में व्यस्त हूं। मुझे बहुत सारे काम करने हैैं बाद में तुम्हें मैं बताऊंगा। यह कहकर उसकी बातों को टाल देता है।

घर पहुंचने के बाद बच्चा अपनी मां से भी पूछता है कि मां मुझे बताओ ना कि स्वर्ग और नरक क्या होता है?
मां भी उसे खाना पकाने की बात कह टाल देते हुए कहती है कि बाद में बताऊंगी।

बच्चे से रहा नहीं जाता है। अब वह बच्चा जिज्ञासु मन से जानने हेतु अपनी दादी के पास जाता है और दादी से भी यही प्रश्न पूछता है कि दादी स्वर्ग और नरक क्या है?

बच्चे की जिद को देखकर दादी ने कुछ सोच कर उससे पूछा कि तुम क्या जानना चाहते हो?

बच्चे ने पूछा दादी स्वर्ग और नरक क्या है?

दादी ने कहा अच्छा ये जानना चाहते हो।

बच्चे ने सहमति में अपना सिर हिला कर अपनी प्रतिक्रिया दी।

दादी बोली मगर तुम तो बहुत छोटे हो। यह जानकर क्या करोगे?

लड़का जिद पर अड़ा रहा कि नहीं दादी बताना ही पड़ेगा।

उसकी जिद देखकर दादी ने उससे पूछा?

अच्छा यह बताओ तुम्हारे मम्मी पापा तुमसे कब नाराज रहते हैं और कब तुमसे खुश रहते हैं?

लड़के ने थोड़ा सोचते हुए बोला कि मुझसे कोई गलती हो जाती है तो मुझे डांट पड़ती है। कभी-कभी बहुत ज्यादा बड़ी गलती हो जाती है तो पिटाई भी होती है। जब मैं मम्मी पापा की बात को नहीं सुनता हूं तो भी मुझे डांट पड़ती है और मम्मी पापा मुझसे नाराज हो जाते हैं।

दादी ने पूछा और खुश कब रहते हैं तुमसे मम्मी पापा?

लड़के ने जवाब में कहा कि जब मैं अपना सारा काम अच्छे से कर लेता हूं या अच्छे से करता हूं। मम्मी पापा की काम में सहायता करता हूं। पढ़ाई अच्छे से करता हूं। पापा मम्मी मुझे उस समय शाबाशी देते हैं और खुश भी रहते हैं। मुझे चॉकलेट और खिलौने भी लाकर देते हैं। मजा आ जाता है।

अच्छा इसका मतलब तुम अच्छा काम करते हो तो तुम्हें सब प्यार करते हैं और खुश रहते हैं।

लड़का हां कह सिर हिलाता है।

दादी यही असल जीवन में स्वर्ग है बेटा।

यदि तुम अच्छे काम करते हो, लोगों की सहायता करते हो, किसी को तुमसे कोई तकलीफ नहीं होती है तब तुम्हें सभी आशीर्वाद देते हैं। तुम्हारा जीवन सुख में भरा होता है।
यही स्वर्ग है जब तुम्हारे साथ सभी रहते हैै।

अगर तुम गलती करते हो किसी को तकलीफ पहुंचाते हो। उन्हें तुमसे दुख पहुंचता है तो वह तुमसे नाराज हो जाते हैं। तुम्हें भी अच्छा नहीं लगता कि सब नाराज है तुमसे। तुम जिंदगी में अकेले रह जाते हो।

यही तो नरक है, कोई तुम्हारे साथ रहना पसंद नहीं करता तुम अकेले हो जाते हो। वास्तव में ये ही नरक है।

इतना सुनते ही लड़का कहता है, मैं आपकी बातों को समझ गया हूं दादी।

मैं आज से अच्छे अच्छे काम करूंगा। लोग मेरे काम से खुश रहेंगे। मैं अब सबकी जिंदगी को स्वर्ग बनाऊंगा।

और खुशी-खुशी दादी को प्रणाम कर चला जाता है।

साथियों एक छोटे बच्चे को ये बात कितनी आसानी से उसकी दादी ने समझा दिया।

वास्तविक जीवन में हम सभी बड़े होकर भी स्वर्ग और नरक काल्पनिक दुनिया को ही मानते हैं।

जबकि हकीकत तो यही है की स्वर्ग और नरक यही है।

अच्छा कर्म करेंगे तो स्वर्ग आपको यहीं नसीब होगा और बुरे कर्म करेंगे तो नरक भी यहीं मिलेगा।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

धीरज कुमार

Ums सिलौटा भभुआ (कैमूर)

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