स्तनपान शिशु के लिए वरदान-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

Devkant

Devkant

 स्तनपान शिशु के लिए वरदान

पहला टीका मातु का, हृदय से अमृत मान।
शिशु हित यह वरदान है, नियमित हो स्तनपान।।

          स्तनपान यानि माँ का दूध एक प्रथम प्राकृतिक टीका है। यह दूध शिशु के लिए अमृत समान है तथा अमूल्य वरदान है। इसके महत्व को जीवंत दिशा प्रदान करने तथा जागरूकता बढ़ाने के लिए सम्पूर्ण विश्व में विश्व स्तनपान सप्ताह १ से ७ अगस्त तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एक साथ करने का समर्थन प्रदान करना है। इसके साथ-साथ कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधित अधिकार के प्रति जागृति प्रदान करना है। जैसा कि विदित है कि यूनिसेफ तथा डब्ल्यू एच.ओ. के द्वारा इसका आयोजन सन १९९१ से किया गया था। तभी से प्रति वर्ष इसका आयोजन हो रहा है।

स्तनपान से लाभ: यथार्थ के धरातल पर देखा जाए तो पता चलता है कि स्तनपान इस सृष्टि में माँ के स्तन से नि:सृजन एक प्राकृतिक व स्वाभाविक प्रक्रिया है। माँ जब अपने शिशु को जन्म देती है और उसे दूध पिलाती है तो उसके लिए मानो प्रथम टीका है जो उसके लिए संजीवनी की तरह है। यह शिशु को अनेक तरह से लाभ प्रदान करता है।

* स्तन के दूध में पोषक तत्वों तथा एंटीबॉडी का सही संतुलन होने के कारण शिशु को विषाणु तथा जीवाणु से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।
* शिशु को मानसिक रूप से स्वस्थ व मजबूत कायम रखता है।
* माँ का दूध अच्छा और सम्पूर्ण आहार है।
* दूध से न केवल शिशु को ही लाभ होता है अपितु
माँ को भी लाभ मिलता है।
* वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार यह दूध मधुमेह और मोटापा से बचाता है।
* छाती में संक्रमण, पेट के कीड़ों, अस्थमा, एलर्जी तथा एक्जिमा के विरुद्ध अर्थात् अनेक रोग से सुरक्षित रखता है।
* शिशु की शारीरिक वृद्धि सुन्दर ढंग से होती है।
* स्तनपान से बच्चे क्रियाशील वह तेज दिमाग वाले
होते हैं। किसी भी विषय वस्तु को सहज सीख
लेते हैं।
* स्तनपान तनाव तथा चिड़चिड़ापन को भी दूर करने में मदद करता है।
* जो माँ अपने शिशु को नियमित स्तनपान कराती है उनमें स्तन कैंसर तथा ओस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम हो जाता है।

इस तरह हम देखते हैं कि स्तनपान शिशु के लिए अत्यावश्यक है। एक नवीन शोध से पता चला है कि रजोनिवृति महिलाएँ जिन्होंने स्तनपान पर उतना ध्यान नहीं दी है या यों कहें कम से कम स्तनपान कराया है उनका शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body Mass Index) स्तनपान न कराने वाली महिलाओं से कम है। कुछ महिलाएँ ऐसी भी हैं जो
बच्चों को स्तनपान कराने से डरती हैं। उनके मन में यदा-कदा यह भाव उद्वेलित करते रहता है कि शारीरिक सौष्ठव व सौंदर्य घट जाएगा। वे इस महत्वपूर्ण कार्य से छुटकारा पाना चाहती है। उन्हें यह समझना चाहिए कि हमें ऐसा सुन्दर सौभाग्य प्राप्त हुआ है तो क्यों न हम जीवनदायिनी संजीवनी शक्ति प्रदान कर अपने शिशु की रक्षा करें। अधिक चिंता करने से भी उनकी शारीरिक शक्ति क्षीण होने लगती है।

अत: हर माँ को अपने शिशु के प्रति सकारात्मक चिंतन करनी चाहिए और उसकी सुरक्षा में सदा तल्लीन रहना चाहिए। स्तनपान को लेकर हमारे समाज में अनेक मिथक पैदा हो जाते हैं। इन मिथक को हमें तोड़ना होगा। एक सुन्दर प्राकृतिक उपहार के द्वारा एक माँ समाज को एक स्वस्थ व मजबूत पीढ़ी प्रदान करती है। अतः क्यों न हम माँ की सुरक्षा करें और स्तनपान कराने की दिशा में स्वस्थ अभियान बच्चों के द्वारा करवाएँ।

माँ स्वस्थ- देश के भविष्य स्वस्थ- राष्ट्र स्वस्थ- सकल विश्व के बच्चे स्वस्थ। इसी संदेश के साथ हमें आगे बढ़ना चाहिए। माँ का स्वास्थ्य और शिशु हित इस संसार में सर्वोपरि है।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

मध्य विद्यालय धवलपुरा

सुलतानगंज भागलपुर

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply