रक्षाबंधन पावन नेह की पहचान का पर्व-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

रक्षाबंधन पावन नेह की पहचान का पर्व पावन रेशम सूत में, देखो अनुपम प्यार। भगिनी राखी बाँधती, करे भ्रातृ मनुहार।।                हमारा देश भारत… रक्षाबंधन पावन नेह की पहचान का पर्व-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more

स्तनपान शिशु के लिए वरदान-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

 स्तनपान शिशु के लिए वरदान पहला टीका मातु का, हृदय से अमृत मान। शिशु हित यह वरदान है, नियमित हो स्तनपान।।           स्तनपान यानि माँ का… स्तनपान शिशु के लिए वरदान-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more

प्रेमचंद हमारे युगद्रष्टा-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रेमचंद हमारे युगद्रष्टा           आज हमारे देश के जाने-माने कथा सम्राट उपन्यासकार, युगद्रष्टा मुंशी प्रेमचंद की जयंती है। जरा कुछ क्षण के लिए विचार किया जाय… प्रेमचंद हमारे युगद्रष्टा-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more

हमारी संस्कृति का प्रतीक गंगा-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

 हमारी संस्कृति का प्रतीक गंगा पापनाशिनी मोक्षदायिनी पुण्यसलिला अमरतरंगिनी। ताप त्रिविध माँ तू नसावनी तरल तरंग तुंग मन भावनी।।           हमारा देश भारत धर्म व संस्कृति प्रधान… हमारी संस्कृति का प्रतीक गंगा-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more

लगन का फल-देव कांत मिश्र दिव्य

लगन का फल            किसी कार्य में सफल होने के लिए खुद पर भरोसा रख कर लक्ष्य निर्धारण करना जरूरी है। एक बार अब्राहम लिंकन ने… लगन का फल-देव कांत मिश्र दिव्यRead more

स्नेह-प्रेम के दो शब्द-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

स्नेह-प्रेम के दो शब्द            लॉकडाउन का पहला चरण, दूसरा चरण फिर तीसरा चरण को तो मैंने अपनी आँखों में बसा लिया, उसे अच्छी तरह झेल… स्नेह-प्रेम के दो शब्द-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more