संदिग्ध आँखें बाजार से लौटते समय जिग्नेश की बाइक के दाईं मीरर पर किसी गाड़ी के आने का प्रकाश दिखा जो बड़ी तेजी से आ… संदिग्ध आँखें-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
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देवदूत-विजय सिंह नीलकण्ठ
देवदूत एक बार शाम के समय ट्यूशन पढ़ाकर आ रहा था तो देखा कि एक ठेला वाला अपने ठेले को जोर से खींच रहा है लेकिन… देवदूत-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
प्यारी गुड़िया-विजय सिंह नीलकण्ठ
प्यारी गुड़िया यह कहानी उस समय की है जब मैं पाँँच से छः साल का बच्चा था। एक दिन गाँव के मेले में एक खिलौने… प्यारी गुड़िया-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
दुलारी-विजय सिंह नीलकण्ठ
दुलारी बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में धनिकलाल नामक एक बकरी पालक रहता था जो बकरियों का पालन पोषण कर अपना समय… दुलारी-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
प्रेरणा-विजय सिंह नीलकण्ठ
प्रेरणा दीदी-दीदी पानी ला दूँ? दीदी ब्रश ला दूँ क्या? दीदी माँ को बता दूँ कि दीदी उठ गई है… प्रेरणा-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
चिंकी वैद्य-विजय सिंह नीलकण्ठ
चिंकी वैद्य किसी जंगल में चिंकी नाम की एक गिलहरी अपने बच्चों के साथ एक पेड़ पर रहती थी। एक दिन वह उसी पेड़ के… चिंकी वैद्य-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
जिज्ञासा-विजय सिंह नीलकण्ठ
जिज्ञासा ऐसी अमूर्त भावना जो हर किसी के अंदर समाहित रहती है। यह अमूर्त होते हुए भी इतना महत्वपूर्ण है जो मानव को… जिज्ञासा-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
आँचल-विजय सिंह नीलकण्ठ
आँचल आँचल शब्द को देखते या सुनते ही सबों को अपनी माँ के आँचल की याद आ जाती है जो हर दुःख-दर्द में कवच का… आँचल-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
सनातन की शपथ-विजय सिंह नीलकण्ठ
सनातन की शपथ यहाँ उपस्थित ग्रामवासियों को साक्षी मानकर मैं शपथ लेता हूँ कि आज ही नहीं अभी से किसी भी सजीव की हत्या नहीं… सनातन की शपथ-विजय सिंह नीलकण्ठRead more
सपना की सूज-बूझ-विजय सिंह नीलकण्ठ
सपना की सूझ-बूझ किसी गाँव में मनसुखलाल नाम का एक किसान रहता था। उसे दो संतान थे। एक का नाम था सपना और दूसरे का… सपना की सूज-बूझ-विजय सिंह नीलकण्ठRead more