” आइए हरेंद्र चाचा , बैठिए । कहिए , कैसे आना हुआ ? ” घर से बाहर आते हुए मुखिया जी ने अपने पड़ोसी हरेंद्र ठाकुर को देखते हुए कहा… लघुकथा- सुधीर कुमारRead more
Category: लघुकथा
हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरव
कुंदन का परीक्षाफल आज निकलने वाला है। इसीलिए वह सुबह से ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होने लगा। स्कूल जाने के समय तैयार हो स्कूल की ओर चल पड़ा। स्कूल… हृदय परिवर्तन -सुरेश कुमार गौरवRead more
नदी का धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व
“नदी का धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व” स्थूल दृष्टिकोण से पृथ्वी के प्राकृतिक तथा भौतिक घटकों जैसे हवा,जल ,मृदा,वनस्पति को पर्यावरण का प्रतिनिधि माना गया है।ये घटकें मनुष्य को चारों ओर… नदी का धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वRead more
अब क्या होगा श्री विमल कुमार “विनोद”
गाँव-गंवई भाषा में समय की वास्तविकता पर आधारित लघुकथा।संक्षिप्त सार-जानवरों की चौपाल जिसमें कुत्ते,बिल्ली, कौआ,मैनागाय,बैल,भेड़-बकरी सारे चिंतित नजर आ रहे हैं।इसी बीच एक सूट-बूट पहना जेनटलमेन आॅटोरिक्शा से उतर कर… अब क्या होगा श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
“कोई तो है”- श्री विमल कुमार”विनोद”
रमेश नामक एक छोटा सा बालक बचपन में अपने दरवाजे पर प्रतिदिन सड़क के किनारे खेलता था।एक दिन इसी क्रम में खेलते समय अचानक दो बैल आपस में लड़ते हुये… “कोई तो है”- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”
गाँव-गंवई भाषा में लिखल लघुकथा।कैलू नामक एक साधारण व्यक्ति जो कि दैनिक मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।इसकी शादी मुनकी नामक एक लड़की से हो जाती… पछूवा कंपकपावे भूखवा दौड़ावे- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
बेटी की मुस्कुराहट-श्री विमल कुमार “विनोद”
संक्षिप्त सार- शमशान में एक लावारिश लड़की के लाश को जलाया जा रहा है।उसी समय उस रास्ते से मोहन और सोहनदो मित्र गुजर रहे हैं।मोहन अपने मित्र सोहन को कहता… बेटी की मुस्कुराहट-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
मंजर-श्री विमल कुमार
मंजर” में आम के मंजर से वसंत ॠतु के आवे के संकेत मिलऽ हे।कोयल के कूक के जेकरा वर्णन बहुत गीत मे भी कइल गेल हथऽ जेकरा में कि”कोयल जइसन… मंजर-श्री विमल कुमारRead more
पृथ्वी को बचाना-एक चुनौती पूर्ण कार्य-श्री विमल कुमार
“विनोद”
साधारणअर्थ में पृथ्वी जिसे पर्यावरण कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है”परि”अर्थात बाहरी तथा आवरण का अर्थ हुआ ढका हुआ।दूसरे शब्दों में”किसी जीव को चारों तरफ से जो जैविक तथा… पृथ्वी को बचाना-एक चुनौती पूर्ण कार्य-श्री विमल कुमार
“विनोद”Read more
जीत की हार-संजीव प्रियदर्शी
मनोहर अपनी बूढ़ी मां को कोर्ट के फैसले की प्रतिलिपि दिखाते हुए जरा हास मुख से बोला- ‘ मां,देखो न! हमने मुकदमा जीत लिया है।आज हमारे लिए बेहद खुशी के… जीत की हार-संजीव प्रियदर्शीRead more