पुरस्कार के हकदार – संजीव प्रियदर्शी

लघुकथा ”गांव में जो सबसे बढ़कर धर्मनिष्ठ होगा, आज की सभा में वे ही पुरस्कार के हकदार होंगे।” ग्राम-समिति की उद्घोषणा सुनते ही रात-दिन ईश्वर नाम की माला जपने वालों… पुरस्कार के हकदार – संजीव प्रियदर्शीRead more

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परिवार – संजीव प्रियदर्शी

अपनी सहेली द्वारा ससुराल के बारे में पूछे जाने पर मनोरमा बोलने लगी -‘ अरे राधा, मैं ससुराल में भले रह रही हूंँ, परन्तु यहां के लोगों का हमारे ऊपर… परिवार – संजीव प्रियदर्शीRead more

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दृष्टिकोण – संजीव प्रियदर्शी

लघुकथा सुनीता अपनी ननद की लड़की की शादी में काफ़ी लल्लो-चप्पो के बाद जाने को राजी हुई थी।ननद शोभा और ननदोई सुनील शादी-विवाह का घर होते हुए भी सुनीता का… दृष्टिकोण – संजीव प्रियदर्शीRead more

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दूसरा भगवान – संजीव प्रियदर्शी

परामर्श शुल्क के अभाव में दो बार क्लीनिक से लौटाये जाने के बाद वह तीसरी दफे रुपये जुटाकर अपने दस वर्षीय लड़के को दिखाने आई थी।कई लोगों ने बताया था… दूसरा भगवान – संजीव प्रियदर्शीRead more

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पगला है- संजीव प्रियदर्शी

लघुकथा सनोज दास जिस दिन नौकरी में आये,उस दिन उनके हिस्से की ऊपरी कमाई ढ़ाई सौ रुपये बनती थी।साथी अहलकार ईमानदार थे,सो बड़ा बाबू रुपये बढ़ाते हुए बोले-‘ देखिए सनोज… पगला है- संजीव प्रियदर्शीRead more

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समझ- संजीव प्रियदर्शी

लघुकथा पत्नी ने आकर कहा-‘ अजी सुनते हो! मनोरमा को जिस पूज्य बाबा जी की अनुकंपा से लड़का हुआ है,चलो न चलकर उनका आशीर्वाद ले लें।सुना है, वे पहुंचे हुए… समझ- संजीव प्रियदर्शीRead more

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अपना-पराया- संजीव प्रियदर्शी

लघुकथा आज देर शाम रघुनाथ जब घर लौटा तो पत्नी राधिका को डरी-सहमी मकान के सामने बरसाती में पाया। कारण पूछने पर वह रोनी सूरत बनाकर बोली -‘ आज तो… अपना-पराया- संजीव प्रियदर्शीRead more

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फर्ज- संजीव प्रियदर्शी

एक लघुकथा चोर-चोर का शोर सुनते ही अपनी जान पर खेलकर भाग रहे लड़के के पीछे लोग दौड़ने लगे थे। कुछ ही देर बाद सड़क पर हुजूम खड़ा था। लड़के… फर्ज- संजीव प्रियदर्शीRead more

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इनकलाब- संजीव प्रियदर्शी

ब्रिटिश हुकूमत का काल था।उस समय भारतीय समाज अनेक कुप्रथाओं से दूषित पड़ा था, जिसमें नरबलि का प्रचालन भी जोरों पर था।लोग अपने-अपने इष्टदेवों को प्रसन्न करने अथवा मन्नतें पूरी… इनकलाब- संजीव प्रियदर्शीRead more

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जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शी

शादी के तुरंत बाद बिटिया की बिदाई हो रही थी और वह माँ के गले लिपट कर जार-जार रोती जाती थी। ऐसी हालत पिछले कई दिनों से थी उसकी।जब से… जिम्मेवारी- संजीव प्रियदर्शीRead more

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