संदिग्ध आँखें-विजय सिंह नीलकण्ठ

संदिग्ध आँखें            बाजार से लौटते समय जिग्नेश की बाइक के दाईं मीरर पर किसी गाड़ी के आने का प्रकाश दिखा जो बड़ी तेजी से आ… संदिग्ध आँखें-विजय सिंह नीलकण्ठRead more

सनातन की शपथ-विजय सिंह नीलकण्ठ

सनातन की शपथ           यहाँ उपस्थित ग्रामवासियों को साक्षी मानकर मैं शपथ लेता हूँ कि आज ही नहीं अभी से किसी भी सजीव की हत्या नहीं… सनातन की शपथ-विजय सिंह नीलकण्ठRead more

सपना की सूज-बूझ-विजय सिंह नीलकण्ठ

सपना की सूझ-बूझ           किसी गाँव में मनसुखलाल नाम का एक किसान रहता था। उसे दो संतान थे। एक का नाम था सपना और दूसरे का… सपना की सूज-बूझ-विजय सिंह नीलकण्ठRead more